इस स्थान पर महिषासुर हुआ था मां दुर्गा पर मोहित (Maa Naina Tevi Temple, Himachal Pardesh)

नैना देवी या नयना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में है। यह भी मां शक्ति का एक सिद्ध पीठ है जो शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर समुद्र तल से 1177 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नैना देवी हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह स्थान NH-21 से जुड़ा हुआ है।

कथा
इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। मंदिर में पीपल का पेड़ मुख्य आकषर्ण का केन्द्र है जो कि अनेको शताब्दी पुराना है। मंदिर के गुम्बद सोने से बने हुए हैं।
मंदिर के मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमान कि मूर्ति है। मुख्य द्वार के के आगे दो शेर की प्रतिमाएं दिखाई देती हैं जो शेरोवाली की मुख्य सवारी है | मंदिर के गर्भग्रह में मुख्य तीन मूर्तियां है। दाई तरफ मां काली , मध्य में नैना देवी की और बाई ओर भगवान श्री गणपति की प्रतिमा है। पास ही में पवित्र जल का तालाब है जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। मंदिर के समीप एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है।

मंदिर से संबंधित एक अन्य कहानी
नैना राम नाम के गुज्जर लड़के की है। एक बार वह अपने मवेशियों को चराने गया और देखा कि एक सफेद गाय अपने थनों से एक पत्थर पर दूध बरसा रही है। उसने अगले कई दिनों तक इसी बात को देखा। एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी मां को सपने मे यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर उनकी पिंडी है। नैना राम ने पूरी सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया। जब राजा ने देखा कि यह सच है, उसने उसी स्थान पर श्री नयना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया।

नैना देवी मंदिर महिशपीठ नाम से भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर मां श्री नयना देवी जी ने महिषासुर का वध किया था। किंवदंतियों के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था, लेकिन उस पर शर्त यह थी कि वह एक अविवाहित महिला द्वारा ही परास्त हो सकता था। इस वरदान के कारण, महिषासुर ने पृथ्वी और देवताओं पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। राक्षस के साथ सामना करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को संयुक्त किया और एक देवी को बनाया जो उसे हरा सके। देवी को सभी देवताओं द्वारा अलग अलग प्रकार के हथियारों की भेंट प्राप्त हुई। महिषासुर देवी की असीम सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने शादी का प्रस्ताव देवी के समक्ष रखा।

देवी ने उसे कहा कि अगर वह उसे हरा देगा तो वह उससे शादी कर लेगी। लड़ाई के दौरान, देवी ने दानव को परास्त किया और उसकी दोनों ऑंखें निकाल दीं। एक और कहानी है जो सिख गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ जुड़ी हुई है जब उन्होंने मुगलों के खिलाफ अपनी सैन्य अभियान 1756 में छेड़ दिया, वह श्री नैना देवी गए और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए एक महायज्ञ किया। आशीर्वाद मिलने के बाद, उन्होंने सफलतापूर्वक मुगलों को हरा दिया।

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