आदि केशव पेरुमल मंदिर

प्रख्यात संत श्रीरामानुजाचार्य की जन्म स्थली श्री पेरंबदूर को 'भूतपुरी' भी कहाँ जाता है क्योंकि पौराणिक काल में यहाँ पर शिवजी के भूतगणों ने तपस्या की थी। साथ ही उन्होंने यहाँ पर 'आदि केशव पेरुमल मंदिर' का निर्माण किया था। उन्होंने यहाँ पर तपस्या क्यों की इसके पीछे एक रोचक पौराणिक कहानी है, आइए जानते है क्या है यह कहानी।

भूतपुरी की पौराणिक कहानी

कहते हैं सृष्टि के आरंभ में एक बार भगवान शंकर तांडव नृत्य कर रहे थे। उनका नृत्य देखकर कुछ भूतगण हंस पड़े। उन भूतगणों से नाराज होकर भगवान शंकर ने अपने से अलग होने का श्राप दे दिया। इससे दुखी होकर सभी भूतगण ब्रह्माजी के पास गए।

ब्रह्मा जी ने भूतगणों को वेंक्टेश्वर गिरि के दक्षिण सत्यव्रत तीर्थ में केशवनारायण की आराधना करने को कहा। वह कई वर्षों तक तप करते रहे। तब भगवान केशव ने उन्हें दर्शन दिए।

उनकी तप से प्रसन्न होकर भगवान केशवनारायण ने एक सरोवर का निर्माण किया जो अनंतसर के नाम से विख्यात हुआ। इस सरोवर में स्नान करने से भूतगण भगवान शंकर के श्राप से मुक्त हुए और उन्हें पुनः भगवान शिव का सानिध्धय प्राप्त हुआ। इससे खुश होकर भूत गणों ने भगवान विष्णु के प्रति अपना आभार प्रकट करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया। और चूँकि भूतगणों ने यहाँ तपस्या की थी इसलिए यह जगह भूतपुरी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

आदि केशव पेरुमल मंदिर

इस मंदिर में शेषशायी भगवान नारायण की श्रीमूर्ति है। इसी के समीप लक्ष्मी जी का मंदिर है। जिसमें लक्ष्मी जी की मनोहर मूर्ति है। इसके नजदीक ही रामचंद्र जी का मंदिर है। मंदिर के घेरे के बाहर अनंतसर नामक एक सरोवर है। जिसके समीप रामानुजस्वामी का मंदिर है। जिसमें उनकी मूर्ति स्थापित है।
उनकी तप से प्रसन्न होकर भगवान केशवनारायण ने एक सरोवर का निर्माण किया जो अनंतसर के नाम से विख्यात हुआ। इस सरोवर में स्नान करने से भूतगण भगवान शंकर के श्राप से मुक्त हुए और उन्हें पुनः भगवान शिव का सानिध्धय प्राप्त हुआ। इससे खुश होकर भूत गणों ने भगवान विष्णु के प्रति अपना आभार प्रकट करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया। और चूँकि भूतगणों ने यहाँ तपस्या की थी इसलिए यह जगह भूतपुरी के नाम से प्रसिद्ध हुई।


आदि केशव पेरुमल मंदिर

इस मंदिर में शेषशायी भगवान नारायण की श्रीमूर्ति है। इसी के समीप लक्ष्मी जी का मंदिर है। जिसमें लक्ष्मी जी की मनोहर मूर्ति है। इसके नजदीक ही रामचंद्र जी का मंदिर है। मंदिर के घेरे के बाहर अनंतसर नामक एक सरोवर है। जिसके समीप रामानुजस्वामी का मंदिर है। जिसमें उनकी मूर्ति स्थापित है।

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