उतराखंड में हनुमान जी ने किया एक और चमत्कार, देखें

हमारे हिन्दू और भारतीय समाज में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो रामायण के बारे में न जनता हो I वैसे आपको याद होगा की रामायण में एक योद्धा था, जिन्होंने अकेले ही पूरी लंका को जला कर खाक कर दिया था पर फिर भी रावण उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाया था सिर्फ इतना ही नहीं इसके इलावा सीता जी को ढूंढ़ने के लिए पूरा समुन्दर लाँघ दिया और जब एक जड़ी बूटी की जरुरत पड़ी तो पूरा पहाड़ ही उठा लिया जी हाँ हम यहाँ किसी और की नहीं, बल्कि हनुमान जी की ही बात कर रहे है I 


यूँ तो भगवान इस दुनिया के हर कण में बास्ते है, पर फिर भी अपनी मौजूदगी का एहसास वो समय समय पर अपने भक्तो को दिलाते रहते है वैसे ऐसा माना जाता है, कि इस कलयुगी जीवन में केवल हनुमान जी ही  ऐसे भगवान है जो आज भी यहाँ मौजूद है और धरती पर जीवित है मगर वो कहा है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है 

हालाँकि कुछ समय पहले उनके पैरों के निशान देखे गए थे मतलब है कि कुछ लोग इसे अंध विश्वास मानते है और कुछ इसे सच थे सयोंग मानते है अब ये अंध विश्वास है या सचाई, ये तो कहा नहीं जा सकता है. पर हाल ही में ही उत्तरांचल में हनुमान जी कि कुछ ऐसे निशान देखे गए है कि जिसने भी उन निशानों को देखा वो ही दंग रह गया 
इस निशानों को देख कर ये कहना गलत नह होगा, कि अगर मनो तो पत्थर में भी भगवान है और अगर न मानो तो नहीं है तो चलिए आपको भी भगवान हनुमान जी कि उन निशानों कि दर्शन करवाते है जो हाल ही में उत्तराखंड में दिखे है बता दे कि उत्तरांचल में बद्रीनाथ कि सिर्फ चार किलोमीटर दूर संतोपथ के'एक  पहाड़ पर एक आकृति दिखी है जो हूबहू भगवान हनुमान जैसी दिखती है ऐसे में हुनमान जी कि इस आकृति को देखने के लिए लोग दूर दूर से आ रहे है 

इसके इलावा सबसे हैरानी वाली बात ये है कि इस आकृति में हनुमान जी के सर पर मुकुट भी देखा जा सकता है गौरतलब है कि वह के लोगो का कहना है कि  इस पहाड़ पर अक्सर बर्फ ही रहती है ऐसे में हो सकता है कि इसी वजह से किसी ने इसे पहले नोटिस न किया हो बता दे कि यह आकृति सबसे पहले बद्रीनाथ जाने वाले लोगो ने देखि है 

अब लोग चाहे कुछ भी कहे, पर वैज्ञानिक इसे नहीं मानते, जी है हिमालय भी विज्ञानं संसथान के वैज्ञानिको का कहना है के ऐसी आकृति जलवायु परिवर्तन के करण चटानो पर बन जाती है हालाँकि भगवान में विशवास रखने वाले लोगो के लिए ये किसी चमत्कार से काम नहीं है 

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