"माँ के इस मंदिर में पानी से दिया जलता है ! !"


हमने मंदिर में घी और तेल से दीपक को जलते हुए देखा है ! किन्तु क्या आपने कभी पानी से जलता हुआ दीपक देखा है ?

आस्था के साथ चमत्कार के जुड़े कुछ ऐसे रहस्य जो हमें चौंका देते है। कहीं मूर्ति का रंग बदलता है, कहीं गणेशजी की मूर्ति दूध पीती है तो कही बिना स्त्रोत के पानी गिरता है। ऐसी बाते सुनने में आए तो हम भी उलझन में पड जाते है की इस पर यकीन करे या करे ? भारत चमत्कार और आस्था की कई सारी रहस्यों से जुडा देश है जो एक बार हमें सोचने पर मजबूर कर देता है।

जी हा..यह सचा है। भारत के मध्यप्रदेश में शालापुर जिले के काली सिंध नदी के तट पर बसे हुए इस मंदिर पर यह पानी से जलता दीपक का दर्शन करने को मिलेंगा। "गड़ियाघाट वाली माता" के मंदिर के नाम से जाना जाता यह मंदिर में भक्त पानी से दीपक जलते है। माता का यह चमत्कार भक्तो के मध्य आस्था का केंद्र बना हुआ है।

इस मंदिर में दीपक की ज्योत को जलाने के लिए काली सिंध नदी का जल भरा जाता है। मान्यता के अनुसार काली सिंध नदी का जल जैसे ही दिये में भरते है वह पानी चिपचिपा तरल पदार्थ में बदल जाता है और पानी से दिया जलने लगता है।

यह "चमत्कार" दिये के कारण होता है या उसमें डाले जाना वाला पानी से ? यह बताना असंभव है। लेकिन माना जाता है की पानी को दिये में डाल ने पर पानी में परिवर्तन आता है और पानी तेल की भांति जल जाता है। मंदिर में पानी से दीपक जलने की घटना किसी चमत्कार से कम नहीं है।

यह कोई नहीं जानता की इस मंदिर मै कब और कैसे इस मंदिर में पानी से दिया जल रहा है ? लेकिन इस अद्भुत दिये और मंदिर के चमत्कार को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ पहुँच जाते है।


बताया जाता है की इस मंदिर का पुजारी को एक बार माताजी ने स्वप्न में दर्शन दिए और मंदिर का दिया तेल के स्थान पर पानी से जलाने के लिए कहा। जब अगले दिन पुजारी ने स्वप्न वाली बात याद कर के पानी से दीपक जलाया तो वह जल उठा और देखते ही देखते माता का यह चमत्कार हर जगह फ़ैल गया। तब से अब तक इस मंदिर में यह चमत्कारी दिया पानी से निरंतर जलता रहा है।                        

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