शिव के दूसरे रूप हैं कालभैरव, इस खास तंत्र साधना से करें खुश


 Shiva are Kalbhairav, jaimaaambe
हिन्द न्यूज़ डेस्क| जिनमें आदिदेव महादेव का अंश हो उनकी महिमा का जितना भी वर्णन किया जाय, कम ही होगा. शिव के अनोखे स्वरूप भगवान काल भैरव के नाम का उच्चारण करने भर से नकारात्मक शक्तियों का
नाश हो जाता है. काल भैरव की दिव्य उपासना की तिथि यानि कालाष्टमी तिथि आज है. ऐसे में श्री काल भैरव से जुड़ी इन बातों के बारे में जान लेना आपके लिए विशेष लाभकारी हो सकता है.
श्री काल भैरव अष्टमी कहें या कालाष्टमी अर्थ दोनों का समान ही है. इस दिव्य तिथि पर शिव स्वरूप श्री काल भैरव की विशेष उपासना से आपके जीवन के ना जाने कितने ही कष्टों और बाधाओं का अंत हो सकता है.
सर्वशक्तिमान शिव के काल स्वरूप भैरव देव के जन्म से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं. तंत्र विद्या में तो शिव के रुद्र रूप को ही भैरव माना गया है लेकिन भैरव देव का असली स्वरूप क्या है और इनकी उपासना करना क्यों जरूरी है, आइए जानते हैं..
भैरव उपासना की महिमा
तंत्र साधना में, विशेष रूप से शिव की तंत्र साधना में भैरव का विशेष महत्व है.
भैरव वैसे तो शिव जी के ही रौद्र रूप हैं, लेकिन कहीं-कहीं इन्हें शिवजी का पुत्र भी माना जाता है.
कहीं-कहीं पर ये भी माना जाता है कि जो भी शिव के मार्ग पर चलता है, उसे भैरव कहते हैं.
इनकी उपासना से भय और अवसाद का नाश होता है.
इनकी उपासना से इंसान को अदम्य साहस की प्राप्ति होती है.
शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा अचूक होती है.
मार्गशीर्ष महीने में भगवान भैरव की विशेष उपासना कालाष्टमी पर की जाती है.
इस बार कालाष्टमी 10 नवंबर को मनाई जाएगी.
भैरव के कई रूप और कई नाम हैं और इनके हर रूप की उपासना का अलग महत्व भी हैं. जानकारों की मानें तो भगवान भैरव अपने हर रूप में भक्तों की रक्षा और दुष्टों को दंडित करने के लिए जाने जाते हैं. तो आइए अब हम आपको काल भैरव के मुख्य रूपों और उनकी विशेषताओं के बारे में बताते हैं .
भैरव के अलग-अलग स्वरुपों की विशेषता
भैरव के तमाम स्वरुप बताए गए हैंअसितांग भैरव, रूद्र भैरव, बटुक भैरव और काल भैरव आदि.
मुख्यतः बटुक भैरव और काल भैरव स्वरुप की पूजा और ध्यान को सर्वोत्तम मानते हैं.
बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है, इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं.
इस सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी होती है.
काल भैरव इनका साहसिक युवा रूप है.
इनकी आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है.

असितांग भैरव और रूद्र भैरव की उपासना अति विशेष है, जो मुक्ति मोक्ष और कुंडलिनी जागरण के दौरान प्रयोग की जाती है.

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