नवरात्रि पूजा में ना करें ये गलतियां, हर बात पहुंचेगी माता रानी तक
नवरात्रि पूजा में ना करें ये गलतियां, हर बात पहुंचेगी माता रानी तक
आजकल लोग पूजा पाठ तो करते हैं लेकिन उन्हें पूजा पाठ के बाद जो भी फल मिलना चाहिए. वह नहीं मिल पाता कर्मकांड के अनुसार पूजा पाठ पूरी तरह सही विधि से होता है. तब उसका लाभ हमें दिखने को मिलता है. फिर जब हम विधिवत पूजा नहीं करते तो उसका उल्टा असर हमारे जीवन पर पड़ता है. हम आपको बता रहे हैं कि कौन कौन सी ऐसी विधि है इसको अपनाने से आपको नवरात्रि में माता की पूजा में फल अवश्य प्राप्त होगा.पूजा के लिए सबसे पहले हमें यह जानना चाहिए कि सबसे उत्तम दिशा कौन सी है. भगवान की मूर्ति को अपने घर में ईशान कोण यानी पूर्व और उत्तर दिशा में विराजमान करना चाहिए और उसी दिशा में बैठकर पूजा करना चाहिए.बैठने के लिए कुश के आसन का प्रयोग करना चाहिए. यदि कुश का आसन नहीं उपलब्ध हो तो कंबल का आसन भी आप प्रयोग कर सकते हैं.पूजा के दौरान अपने दाएं ओर तेल के दीपक को रखना चाहिए .इसके अलावा जब हम पूजा के बाद देवी देवताओं को चंदन लगाते हैं तो ध्यान रहे कि अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली से ही चंदन लगाएं और एक बात का ध्यान दें यह भी रखें कि कभी भी किसी मूर्ति से सिंदूर लगाकर अपने माथे पर ना लगाएं .भगवान की आरती कर्तव्य कभी भी एक दीपक से दूसरा दीपक और कपूर ना जलाएं.यदि पूजा के दौरान कोई भी चीज चढ़ाने के लिए रह जाए तो परेशान होने की जरूरत नहीं बाद में आप चावल और फूल चढ़ा कर मन से हो चीज का ध्यान कर सकते हैं.
आजकल लोग पूजा पाठ तो करते हैं लेकिन उन्हें पूजा पाठ के बाद जो भी फल मिलना चाहिए. वह नहीं मिल पाता कर्मकांड के अनुसार पूजा पाठ पूरी तरह सही विधि से होता है. तब उसका लाभ हमें दिखने को मिलता है. फिर जब हम विधिवत पूजा नहीं करते तो उसका उल्टा असर हमारे जीवन पर पड़ता है. हम आपको बता रहे हैं कि कौन कौन सी ऐसी विधि है इसको अपनाने से आपको नवरात्रि में माता की पूजा में फल अवश्य प्राप्त होगा.पूजा के लिए सबसे पहले हमें यह जानना चाहिए कि सबसे उत्तम दिशा कौन सी है. भगवान की मूर्ति को अपने घर में ईशान कोण यानी पूर्व और उत्तर दिशा में विराजमान करना चाहिए और उसी दिशा में बैठकर पूजा करना चाहिए.बैठने के लिए कुश के आसन का प्रयोग करना चाहिए. यदि कुश का आसन नहीं उपलब्ध हो तो कंबल का आसन भी आप प्रयोग कर सकते हैं.पूजा के दौरान अपने दाएं ओर तेल के दीपक को रखना चाहिए .इसके अलावा जब हम पूजा के बाद देवी देवताओं को चंदन लगाते हैं तो ध्यान रहे कि अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली से ही चंदन लगाएं और एक बात का ध्यान दें यह भी रखें कि कभी भी किसी मूर्ति से सिंदूर लगाकर अपने माथे पर ना लगाएं .भगवान की आरती कर्तव्य कभी भी एक दीपक से दूसरा दीपक और कपूर ना जलाएं.यदि पूजा के दौरान कोई भी चीज चढ़ाने के लिए रह जाए तो परेशान होने की जरूरत नहीं बाद में आप चावल और फूल चढ़ा कर मन से हो चीज का ध्यान कर सकते हैं.
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