जब केवट प्रभु के चरण धो चूका तो भगवान कहते है - भाई ! अब तो गंगा पार करा दे,
जब केवट प्रभु के चरण धो चूका तो भगवान कहते है - भाई ! अब तो गंगा पार करा दे,
इस पर केवट कहता है प्रभु नियम
तो आपको पता ही है कि जो पहले आता है उसे पहले पार उतारा जाता है इसलिए प्रभु अभी थोडा और रुको.
तो आपको पता ही है कि जो पहले आता है उसे पहले पार उतारा जाता है इसलिए प्रभु अभी थोडा और रुको.
भगवान कहते है -भाई ! यहाँ तो मेरे सिवा और कोई दिखायी नहीं देता इस घाट पर तो केवल मै ही हूँ फिर पहले किसे पार लगना है.?
केवट बोला - प्रभु! अभी मेरे पूर्वज बैठे हुए है जिनको पार लगाना है.
झट गंगा जी में उतरकर प्रभु के चरणामृत से अपने पूर्वजो का तर्पण करता है,
धन्य है केवट जिसने अपना,अपने परिवार और सारे कुल का उद्धार करवाया.
फिर भगवान को नाव में बैठाता है,दूसरे किनारे तक ले जाने से पहले फिर घुमाकर वापस ले जाता है,
जब बार-बार केवट ऐसा करता है
तो प्रभु पूछतें हैं -भाई बार बार चक्कर क्यों लगवाता है मुझे चक्कर आने लगे हैं
केवट कहता है - प्रभु ! यही तो मै भी कह रहा हूँ | ८४ लाख योनियों के चक्कर लगाते लगाते मेरी बुद्धि भी चक्कर खाने लगी है, अब और चक्कर मत लगवाओ.
तो प्रभु पूछतें हैं -भाई बार बार चक्कर क्यों लगवाता है मुझे चक्कर आने लगे हैं
केवट कहता है - प्रभु ! यही तो मै भी कह रहा हूँ | ८४ लाख योनियों के चक्कर लगाते लगाते मेरी बुद्धि भी चक्कर खाने लगी है, अब और चक्कर मत लगवाओ.
गंगा पार पहुँचकर केवट प्रभु को दंडवत प्रणाम करता है | उसे दंडवत करते देख भगवान को संकोच हुआ कि मैंने इसे कुछ दिया नहीं.
"केवट उतरि दंडवत कीन्हा,
प्रभुहि सकुच एहि नहि कछु दीन्हा"
प्रभुहि सकुच एहि नहि कछु दीन्हा"
कितना विचित्र द्रश्य है जहाँ देने वाले को संकोच हो रहा है और लेने वाला केवट उसकी भी विचित्र दशा है कहता है-
"नाथ आजु मै काह न पावा
मिटे दोष दुःख दारिद्र दावा
मिटे दोष दुःख दारिद्र दावा
बहुत काल मै कीन्ह मजूरी
आजु दीन्ह बिधि बनि भलि भूरी"
आजु दीन्ह बिधि बनि भलि भूरी"
लेने वाला कहे बिना लिए ही कह रहा है कि हे नाथ !आज मैंने क्या नहीं पाया मेरे दोष दुःख और दरिद्रता सब मिट गई |
आज विधाता ने बहुत अच्छी मजदूरी दे दी |आपकी कृपा से अब मुझे कुछ नहीं चाहिये |
भगवान उसे को सोने की अंगूठी देने लगते है |केवट कहता है प्रभु उतराई कैसे ले सकता हूँ.
हम दोनों एक ही बिरादरी के है और बिरादरी वाले से मज़दूरी नहीं लिया करते.
दरजी, दरजी से न ले सिलाई
धोबी, धोबी से न ले धुलाई
धोबी, धोबी से न ले धुलाई
नाई, नाई से न ले बाल कटाई
फिर केवट, केवट से कैसे ले उतराई
आप भी केवट, हम भी केवट, अंतर इतना है हम नदी मे इस पार से उस पार लगाते है,
फिर केवट, केवट से कैसे ले उतराई
आप भी केवट, हम भी केवट, अंतर इतना है हम नदी मे इस पार से उस पार लगाते है,
आप संसार सागर से पार लगाते हो, हमने आपको पार लगा दिया, अब जब मेरी बारी आये तो आप मुझे पार लगा देना |
प्रभु आज तो सबसे बड़ा धनी मै ही हूँ
क्योकि वास्तव में धनी कौन है? जिसके पास आपका नाम है,
क्योकि वास्तव में धनी कौन है? जिसके पास आपका नाम है,
आपकी कृपा है, आज मेरे पास दोनों ही है. मै ही सबसे बड़ा धनी हूँ.
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