जानिए आपको वाहन सुख प्राप्त होगा या नहीं
कुंडली
में किन भावों और किन ग्रहो
से प्राप्त होता है वाहन सुख.......
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जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव को सुख का
स्थान माना जाता है तथा शुक्र
को वाहन सुख का कारक. किसी
व्यक्ति को वाहन सुख
मिलेगा अथवा नहीं उसमें शुक्र एवं चौथे घर के स्वामी
ग्रह की भूमिका काफी
महत्वपूर्ण होती है. भाग्य एवं आय स्थान भी
इस विषय अहम माने जाते हैं।〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰
जन्म
कुण्डली में यदि चतुर्थेश लग्नेश के घर में
हो तथा लग्नेश चतुर्थेश के घर में
तो इन दोनों के
बीच राशि परिवर्तन योग बनेगा. इस योग के
शुभ प्रभाव से व्यक्ति को
वाहन सुख की प्राप्ति होती
है।
चौथे
घर का स्वामी ग्रह
तथा नवम भाव का स्वामी ग्रह
लग्न स्थान में युति बनाएं तो वाहन सुख
के लिए इस अच्छा योग
माना जाता है. इस ग्रह स्थिति
में व्यक्ति का भाग्य प्रबल
होता है जो उसे
वाहन सुख दिलाता है।
कुण्डली
में नवम, दशम अथवा एकादश भाव में शुक्र के साथ चतुर्थेश
की युति होने पर बहुत ही
अच्छा वाहन प्राप्त होता है वाहन सुख
पाने में इन ग्रहों का
पूरा योगदान मिलता है. यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि
चतुर्थेश का सम्बन्ध शनि
के साथ हो अथवा शनि
शुक्र की युति हो
तो वाहन सुख पाने के लिए काफी
मेहनत करनी पड़ती है अथवा शारीरिक
श्रम से चलने वाले
वाहन की प्राप्ति होती
है।
गोचर
में जब कभी चौथे
भाव का स्वामी, नवम,
दशम अथवा एकादश भाव के स्वामी के
साथ चर राशि में
युति सम्बन्ध बनाता है वाहन सुख
मिलने की पूरी संभावना
बनती है. अगर कुण्डली में यह शुभ स्थिति
हो फिर भी वाहन सुख
नहीं मिलता है
चतुर्थ भाव सुख भाव होता है तथा भौतिक सुख देने वाले ग्रह शुक्र हैं फिर भी इन दोनों ग्रहों की युति चतुर्थ भाव में होने पर बहुत अच्छा परिणाम प्राप्त नहीं होता है।
चतुर्थ भाव सुख भाव होता है तथा भौतिक सुख देने वाले ग्रह शुक्र हैं फिर भी इन दोनों ग्रहों की युति चतुर्थ भाव में होने पर बहुत अच्छा परिणाम प्राप्त नहीं होता है।
ज्योतिषशास्त्र
के विधान के अनुसार इस
स्थिति में व्यक्ति कार या बाईक ले
सकता है परंतु यह
सामान्य दर्जे का हो सकता
है. शुक्र एवं चतुर्थेश के इस सम्बन्ध
पर यदि पाप ग्रह का प्रभाव हो
तो वाहन सुख का अभाव भी
हो सकता है।
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