इस शापित पहाड़ पर क्यों आती हैं देवी मां? पढ़िए रहस्य!
इस शापित पहाड़ पर क्यों आती हैं देवी मां? पढ़िए रहस्य!
क्या कोई पहाड़ शापित हो सकता है? क्या पहाड़ को मिले श्राप को दूर करने के लिए मां दुर्गा खुद पहाड़ पर आकर भक्तों को दर्शन देती हैं? इस रहस्य को जानना है तो आपको बुंदेलखंड के बांदा जनपद में आना होगा
क्या कोई पहाड़ शापित हो सकता है? क्या पहाड़ को मिले श्राप को दूर करने के लिए मां दुर्गा खुद पहाड़ पर आकर भक्तों को दर्शन देती हैं? इस रहस्य को जानना है तो आपको बुंदेलखंड के बांदा जनपद में आना होगा।
उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के बांदा जनपद के एक गांव में ऐसा भी पहाड़ है जिसे देवी 'विंध्यवासिनी' द्वारा शापित पहाड़ माना जाता है। लोक मान्यता है कि देवी जी का भार सहन करने में असमर्थता जताने पर उसे 'कोढ़ी' होने का शाप दिया गया था। पहाड़ के उद्धार के लिए मिर्जापुर के विंध्याचल पहाड़ से मां विंध्यवासिनी नवरात्र की नवमी तिथि को यहां आती हैं और भक्तों को दर्शन देती हैं।
पहाड़ ने देवी मां का किया था अपमान
बुंदेलखंड के बांदा जनपद में केन नदी के तट पर बसे शेरपुर स्योढ़ा गांव के खत्री पहाड़ की चोटी पर मां विंध्यवासिनी का मंदिर है। आम दिनों की अपेक्षा यहां नवरात्र में बड़ा मेला लगता है। प्रशासन को भी भक्तों की सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ता है। मां विंध्यवासिनी के बारे में यहां एक लोक मान्यता प्रचलित है कि मिर्जापुर में विराजमान होने से पूर्व देवी मां ने खत्री पहाड़ को चुना था। लेकिन इस पहाड़ ने देवी मां का भार सहन करने में असमर्थता जाहिर की थी। जिससे नाराज होकर मां पहाड़ को 'कोढ़ी' होने का शाप देकर मिर्जापुर चली गई। अपने उद्धार के लिए पहाड़ के प्रार्थना करने पर देवी मां ने नवरात्र की नवमी तिथि को पहाड़ पर आने का वचन दिया था। इसके यहां अष्टमी की मध्यरात्रि से भारी भक्तों का मेला लगने लगा है।
मंदिर के पुजारी रज्जन तिवारी बताते हैं कि नवरात्र की अन्य तिथियों में भक्तों की भीड़ कम होती है। अष्टमी और नवमी तिथि को बच्चों के मुंडन के लिए तथा अन्य भक्तों की भीड़ जुटती है।
शेरपुर स्योढ़ा गांव के पड़ोसी गांव पनगरा के रहने वाले बुजुर्ग ब्राह्मण बद्री प्रसाद दीक्षित बताते हैं कि कोई अभिलेखीय साक्ष्य तो मौजूद नहीं है पर लोक मान्यता है कि भार सहन करने में असमर्थता जाहिर करने पर खत्री पहाड़ को मां विंध्यवासिनी ने 'कोढ़ी' होने का शाप दिया था। तभी से इस पहाड़ का पत्थर सफेद है और देवी मां के भक्त नवमी तिथि को लाखों की तादाद में हाजिर होकर मां का आशीर्वाद लेते हैं।उन्होंने बताया कि अष्टमी की मध्यरात्रि के बाद देवी की मूर्ति में अनायास चमक आ जाती है जिससे भक्त देवी के आ जाने का कयास लगाते हैं।
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