ईमानदारी की सीख ।
ईमानदारी की सीख ।
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे। एक बार भ्रमण के दौरान वे सैदपुर पहुंचे। सारे शहर में ये बात फैल गई कि एक परम दिव्य महापुरुष शहर में पधारे हैं। शहर का मुखिया मलिक भागो जुल्म और बेईमानी से धनी बना था। वो गरीब किसानों से बहुत ज़्यादा लगान वसूलता था। कई बार उनकी फसल भी हड़प लेता था। जिससे कई गरीब किसान परिवार भूखे मरने पर मजबूर थे। जब मलिक भागो को नानक देव जी के आने का पता चला, तो वो उन्हें अपने महल में ठहराना चाहता था, लेकिन गुरु जी ने एक गरीब के छोटे से घर को ठहरने के लिए चुना।
उस आदमी का नाम भाई लालो था। भाई लालो बहुत खुश हुआ और वो बड़े आदर-सत्कार से गुरुजी की सेवा करने लगा। नानक देव जी बड़े प्रेम से उसकी रूखी-सूखी रोटी खाते थे। जब मलिक भागो को ये पता चला तो उसने एक बड़ा आयोजन किया। उसने इलाके के सभी जाने माने लोगों के साथ गुरु नानक जी को भी उसमें निमंत्रित किया। गुरुजी ने उसका निमंत्रण ठुकरा दिया। ये सुनकर, मलिक को बहुत गुस्सा आया और उसने गुरुजी को अपने यहां लाने का हुक्म दिया। मलिक के आदमी, नानक देव जी को उसके महल ले कर आए तो मलिक बोला, गुरुजी मैंने आपके ठहरने का बहुत बढ़िया इंतजाम किया था। कई सारे स्वादिष्ट व्यंजन भी बनवाए थे, फिर भी आप उस गरीब भाई लालो की सूखी रोटी खा रहे हो, क्यों। गुरुजी ने उत्तर दिया, मैं तुम्हारा भोजन नहीं खा सकता, क्योंकि तुमने गलत तरीके से गरीबों का खून चूस कर ये रोटी कमाई है। जबकि लालो की सूखी रोटी उसकी ईमानदारी और मेहनत की कमाई है। गुरुजी की ये बात सुनकर, मलिक भागो आगबबूला हो गया और गुरुजी से इसका सबूत देने को कहा। गुरुजी ने लालो के घर से रोटी का एक टुकड़ा मंगवाया।
फिर शहर के लोगों के भारी जमावड़े के सामने, गुरुजी ने एक हाथ में भाई लालो की सूखी रोटी और दूसरे हाथ में मलिक भागो की रोटी उठाई। दोनों रोटियों को जोर से हाथों में दबाया तो लालो की रोटी से दूध और मलिक भागो की रोटी से खून टपकने लगा। भरी सभा में, मलिक भागो अपने दुष्कर्मों का सबूत देख, पूरी तरह से हिल गया और नानक देव जी के चरणो में गिर गया। गुरु जी ने उसे भ्रष्टाचार से कमाई हुई सारी धन-दौलत गरीबों में बांटने को कहा और आगे से ईमानदार बनने को कहा। मलिक भागो ने वैसा ही किया। इस प्रकार, गुरुजी के आशीर्वाद से, मलिक भागो का एक तरह से पुनर्जन्म हुआ और वो ईमानदार बन गया।
फिर शहर के लोगों के भारी जमावड़े के सामने, गुरुजी ने एक हाथ में भाई लालो की सूखी रोटी और दूसरे हाथ में मलिक भागो की रोटी उठाई। दोनों रोटियों को जोर से हाथों में दबाया तो लालो की रोटी से दूध और मलिक भागो की रोटी से खून टपकने लगा। भरी सभा में, मलिक भागो अपने दुष्कर्मों का सबूत देख, पूरी तरह से हिल गया और नानक देव जी के चरणो में गिर गया। गुरु जी ने उसे भ्रष्टाचार से कमाई हुई सारी धन-दौलत गरीबों में बांटने को कहा और आगे से ईमानदार बनने को कहा। मलिक भागो ने वैसा ही किया। इस प्रकार, गुरुजी के आशीर्वाद से, मलिक भागो का एक तरह से पुनर्जन्म हुआ और वो ईमानदार बन गया।
इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है की हमे हमेशा सच्चाई और इमनदारी से मेहनत करके पैसा कमाना चाहिए।
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