स्वर्ण मंदिर, अमृतसर,Golden Temple Amritsar
शुद्ध सोने से बना सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर
यह मंदिर अमृतसर नगर के बीचोबीच है। इसे 'दरबार साहिब' भी कहा जाता है। यह देश का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और यहां पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं। अमृतसर में स्थित इस मंदिर को सबसे पहले 16वीं शताब्दी में 5वें सिक्ख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरुद्वारे की ऊपरी छत को 400 किग्रा सोने के वर्क से ढंक दिया, जिससे इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा।
कैसे जाएँ- अगर आप वायु यात्रा द्वारा अमृतसर जाने की सोच रहे हैं तो ग्रेंड ट्रंक रोड (एनएच-1) पर स्थित होने के कारण भारत के प्रमुख शहरों से यहां सड़क मार्ग के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकता है।
दिल्ली, चंडीगढ़ और जम्मू से अमृतसर के लिए बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा जीटी रोड अमृतसर को पाकिस्तान के लाहौर से भी जोड़ता है। अमृतसर रेल मार्ग से भारत के ज्यादातर हिस्सों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और जम्मू से अमृतसर के लिए प्रतिदिन ट्रेनें मिलती हैं। अमृतसर में शहर से 11 किमी दूर श्री गुरू रामदास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जिसके जरिए यहां हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें इसे विश्व के कई स्थानों से जोड़ती
स्वर्ण मंदिर अमृतसर जो पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में स्थित है, एक महान सौंदर्य और उदात्त शांति का स्थान है।मंदिर की वास्तुकला हिंदू और मुस्लिम दोनों कलात्मक शैलियों पर आधारित है, फिर भी दोनों का एक अनोखा समन्वय है। महाराजा रणजीत सिंह (1780-1839) के शासनकाल के दौरान, हरि मंदिर संगमरमर की मूर्तियों, सुनहरे सोने के गुलदस्ते और बड़ी मात्रा में कीमती पत्थरों से समृद्ध था।
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