नवरात्रि के नौ दिन
नवरात्रि का त्योहार हिंदू त्योहारों में से अहम त्योहार है। साल में दो बार मार्च -अप्रैल और सितंबर -अक्टूबर के बीच में होती हैं। नवरात्रि का अर्थ नौ रात जिसमें मां दुर्गा की अराधना की जाती है। इस त्योहार को भगवान की जीत की खुशी में मनाते हैं। जब देवों ने राक्षसों से युद्ध करके उनपर जीत हासिल की थी। जहां इस त्योहार में व्रत करने की मान्यता है वैसे ही इस त्योहार में नौ दिन नौ अलग अलग रंगों के वस्त्र पहनने की भी मान्यता है। नवरात्रि में नौ देवियों के अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। उन्हीं देवियों के अनुसार अलग अलग रंग के वस्त्र को पहन उन्हें खुश करने की पूरी कवायद की जाती है।
नौ दिन नौ रंग
1- घटस्थापना- ऑरेंज नारंगी
२- द्वितिया- व्हाइट सफेद
३- तृतिया- लाल
४- चतुर्थी- रोयल ब्लू नीला
५- पंचमी- यैलो पीला
६- षष्ठी- ग्रीन हरा
७- सप्तमी- ग्रे
८- अष्टमी- पर्पल
९- नवमी- पीकॉक ग्रीन
1- घटस्थापना- ऑरेंज नारंगी
२- द्वितिया- व्हाइट सफेद
३- तृतिया- लाल
४- चतुर्थी- रोयल ब्लू नीला
५- पंचमी- यैलो पीला
६- षष्ठी- ग्रीन हरा
७- सप्तमी- ग्रे
८- अष्टमी- पर्पल
९- नवमी- पीकॉक ग्रीन
नवरात्रि के नौ दिन
पहला दिन घटस्थापना- नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा कर उनकी अराधना के लिए आशिर्वाद मांगा जाता है। मां शैलपुत्री ने ऑरेंज यानी की नारंगी रंग की साड़ी धारण की हुई, इसलिए इस दिन नारंगी रंग के वस्त्र पहनें जाते हैं।
दूसरा दिन द्वितिया- इस दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवि का यह रूप अत्यंत पवित्र माना जाता है, इसलिए उनके वस्त्रों का रंग सफेद है। इस सभी भक्तों को सफेद रंग के वस्त्र पहनना चाहिए।
तीसरा दिन तृतिया- नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे रूप यानी की चंंद्रघंटा की पूजा की जाती है। चंद्रघंटा बहादुरी और धैर्य का प्रतीक है। इसलिए चंद्रघंटा देवी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई है।
चौथा दिन चतुर्थी - कुष्मुंडा मां दुर्गा के नौ रूपों में से चौथा रूप हैं। यह माना जाता है कि देवी हंसे के रूप में, ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए इस मां ने रोयल ब्लू रंग के वस्त्र धारण किए हैं। भक्तों को भी देवी मां को प्रसन्न करने हेतू इस दिन रोयल ब्लू रंग को कपड़े को अपनाना चाहिए।
पांचवा दिन पंचमी- पंचमी के दिन मां स्कंटमाता के रूप में पूजी जाती हैं, जो कि कार्तिकेय जी की मां भी हैं। घर में सुख और शांति बनीं रहे इसलिए इनका पूजन होता है। इस दिन मां की भक्ति के लिए यैलो यानी की पीले रंग के वस्त्र पहनकर घर की सुख शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
छंटा दिन षष्ठी- षष्ठी के दिन लोगों को हरे रंग के वस्त्र धारण करने के लिए कहा जाता है। यह दिन मां दुर्गा के छंठे रूप कात्यानी के रूप में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि कात्या अपनी बेटी के रूप में देवी का स्वागत करना चाहते थे। देवी को खुश करने के लिए, कात्या ने कई औपचारिकताएं भी निभाईं। देवी अंतत: कात्या से प्रसन्न हुई और अपनी बेटी के रूप में उनके घर में जन्म ले लिया है और उन्हें कात्यायनी कहा जाता है।
सांतवां दिन सप्तमी- सप्तमी के दिन मां दुर्गा की पूजा कालरात्रि के रूप में की जाती है, जिन्हें शुभांकरी भी कहते हैं। शुभांकरी का अर्थ है डार्क और काली रात। कालरात्रि केवल मुश्किलें और नकारात्मकता को दूर नहीं करती बल्कि बहुत सी खुशियां भी देती है। कालरात्रि के दिन ग्रे रंग के वस्त्र पहन मां दुर्गा करे प्रसन्न करें।
आठवां दिन अष्टमी- आठवें दिन अष्टमी को मां दुर्गा को मां गौरी के रूप में पूजते हैं। इस दिन का महत्व है कि इस बीच में हुई आपकी सभी बुराईयों को माफ कर मां दुर्गा आपको अंदर से पवित्र आत्मा कर देती हैं। महागौरी ने तपस्या की थी ताकि वह अपने पति के रूप में भगवान शिव को पा सकें। तपस्या के दौरान, उनके शरीर पर जमा हुई धूल को भगवान शिव ने गंगा के पवित्र जल से धोया था तब उसका रंग पर्पल जैसा हो गया था, इसलिए इस दिन पर्पल रंग के वस्त्र पहनें जाते हैं।
नवां दिन नवमीं- दिन नौ नवमीं के रूप में जाना जाता है और यह त्योहार का अंतिम दिन है। इस दिन, लोग देवी की पूजा करते हैं क्योंकि वह अपने सभी भक्तों पर समृद्धि देती है। इस दिन पीकॉक ग्रीन रंग के वस्त्र पहनें जाते हंै।
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