Five temple of Ganesha (भगवान गणेश के अद्धभुत पांच मंदिर")

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गणेश उत्सव के अवसर पर हम आपको यहां भारत के पांच प्रमुख गणेश मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, ये मंदिर गणेश भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं, आइए आपको बताते हैं इन मंदिरों के बारे में....

सिद्घिविनायक मंदिर:- सिद्घिविनायक गणेश सिद्धि देने वाले बलशाली देवता के रुप में प्रसिद्ध हैं। अष्टविनायक गणेश में श्री सिद्धि विनायक मंदिर उत्तरामुखी होकर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की सूड़ दांईं तरफ मुड़ी होती है, वे सिद्धपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्धि विनायक मंदिर कहलाते हैं। सिद्धि विनायक मंदिर भारत के रईस मंदिरों में से एक माना जाता है। ये मंदिर सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी विख्यात है।

रणथंभौर गणेश मंदिर:- करीब १००० साल पुराने रणथंभौर गणेश मंदिर में तीन नेत्र वाले गणेश जी विराजमान हैं। यहां विराजमान गणपति का रंग नारंगी है और उनके साथ उनका वाहन मूशक भी यहां विराजमान है। बप्पा के इस अद्भुत रूप के दर्शनों के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं।

उच्ची पिल्लयार मंदिर:- तमिलनाडु राज्य के त्रिची शहर के मध्य पहाड़ के शिखर पर स्थित उच्ची पिल्लयार मंदिर को चैल राजाओं ने चट्टानों को काटकर बनवाया था। पहाड़ के शिखर पर विराजमान होने के कारण गणेश जी को उच्ची पिल्लैयार कहते हैं। इस मंदिर में हमेशा गणपति के भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर:- पुणे में स्थित श्रीमंत दगड़ूशेठ हलवाई गणपति मंदिर में भक्तों की भगवान के प्रति आस्था साफ नजर आती है। कोई इन्हें फूलों से सजाता है, तो कोई इन्हे सोने से लाद देता है, कोई इन्हे मिठाई से सजाता है, तो कोई नोटों से पूरे मंदिर को ढक देता है। भगवान गणेश को इन अलग-अलग रूपों में सजा देखने के लिए भक्त हमेशा उत्साहित रहते हैं।

कनिपक्कम विनायक मंदिर:- आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित कनिपक्कम विनायक मंदिर की स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी। यहां के लोगों का मानना है कि इस मंदिर में विराजमान गणपति का हर दिन आकार बढ़ता ही जा रहा है।

मनाकुला विनायगर मंदिर:- पांडिचेरी में स्थित भगवान गणेश का ये मंदिर बहुत ही पुराना है, ये माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण फ्रांस के कब्जे से पहले ही हो गया था। इसी कारण इस मंदिर में गणपति के दर्शनों के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं।

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