जानिए, बकरा ईद में बकरे की क्यों दी जाती है कुर्बानी,why the goat Eid sacrifice,

यह कुर्बानी का त्यौहार रमजान के दो माहिने में आता है इसमे कुर्बानी का महत्त्व बताया गया है इस वर्ष यह सितम्बर की 2 तारीख को पड रही है इस्लामिक केलेंडर के हिसाब से 10 धू अल हिज्जाह से इसकी शुरुआत होती है और 13 धूअल हिज्जाह पर ख़त्म होगी, इसके अनुसार यह इस्लामिक कैलेण्डर के बारहवे माह के दसवे दिन मनाये जाते है. भारत में बकरीद बड़े धूम धाम से मनाते है क्योकि इस बकरा ईद में बकरे की कुर्बानी देकर इसे मनाया जाता है यह त्यौहार बड़े चर्चा का विषय है लेकिन इस त्योहार को क्यों मनाते है ये कुछ ही लोग जानते है की इस ईद में बकरे की कुर्बानी क्यों दी जाती है. इस दिन बकरे, ऊँट, और भी ऐसे जानवर जिनकी बकरा ईद में कुर्बानी दी जाती है इस त्यौहार के पीछे एक धार्मिक कथा है.
कहानी के अनुसार इब्राहीम अलैया सलाम नामक एक व्यक्ति थे जिन्हें पैगम्बर के नाम से जाना जाता है उन्हें स्वप्न में अल्लाह का हुक्म आया की तुम इस संसार में सबसे ज्यादा चाहते हो तथा प्यारी हो उसे तुम मेरे लिए लिए कुर्बान कर दो. इस संसार में वे अपने बेटे को सबसे ज्यादा चाहते थे ये उनके लिए सबसे बड़ा इम्तिहान था और अल्लाह का हुक्म न मानना उनका तोहिन करना था इसलिए उन्होंने अल्लाह का हुक्म स्वीकार किया और अपने बच्चे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए.
बकरीद के दिन जैसे ही कुर्बानी का समय आया जैसे ही पैगम्बर बड़े से चाक़ू लेकर अपने बड़े बेटे को कुर्बान करने लगे वैसे ही फरिस्तो के सरदार जिब्रील अमीन ने बिजली की तेजी से आकर बच्चे की जगह एक बकरे को रख दिया. जिससे उनके बच्चे की जान बच गई. और तभी से बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है. कुर्बानी का अर्थ है अपने परिवार अपने देश की रक्षा करना पड़े तो पीछे नहीं हटना अपने देश की रक्षा करते हुए उसमे किसी अपने ही किसी प्रिय की कुर्बानी देना पड़े लेकिन वह पीछे नहीं हटे.



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