विश्वकर्मा पूजा : कारोबार में चार चांद लगाती है इस दिन की गई पूजा

विश्वकर्मा पूजा : कारोबार में चार चांद लगाती है इस दिन की गई पूजा
देवताओं के इंजीनियर को समर्पित है विश्वककर्मा पूजा
जैसा की हम सभी देखते है की आजकल हमारे देश में रेल से लेकर सुई तक बड़े-बड़े इंजीनयर की सहायता से बनाए जाते हैं तो क्या हमने कभी सोचा है की ये जो ब्रह्माण्ड है उसे तो भी किसी ने बनाया ही होगा या किसी के द्वारा बनाया गया होंगा। हिंदू धर्मशास्त्र में इसके श्रेय भगवान विश्वकर्मा को दिया जाता है। यही कारण हैं कि उन्हें देवताओ के इंजीनियर यानि शिल्पकार देव माना जाता है। देश के प्रमुख त्योहारों में विश्वकर्मा पूजा भी है जो श्रम से जुड़े क्षेत्रों में प्रमुखता से मनाया जाता है। इस बार विश्वकर्मा पूजन 17 सितम्बर को होगी।
पुराणों में वर्णित लेखों के अनुसार इस सृष्टि की रचना आदिदेव ब्रह्मा जी को माना जाता है। विश्वकर्मा जी की सहायता से ही इस सृष्टि का निर्माण हुआ। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार सबसे ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म के सातवे संतान वास्तु थे। विश्वकर्मा जी वास्तु के पुत्र थे जो अपने माता-पिता की तरह ही महान शिल्पकार हुए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवताओ का स्वर्ग हो या लंका के रावण की सोने की लंका हो या भगवान कृष्ण जी की द्वारिका और पांडवो की राजधानी हस्तिनापुर इन सभी राजधानियों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा की गईं है जो वास्तुकला की अद्भुत मिशाल हैं। विश्वकर्मा जी को औजारों का देवता भी कहा जाता है। महृषि दधीचि द्वारा दी गयी उनकी हड्डियों से ही ब्रज का निर्माण इन्होंने ही किया है जो की देवताओ के राजा इंद्र का प्रमुख हथियार है।
व्यापार-कारोबार में चार चांद लगाती है विश्वकर्मा पूजा
व्यापार-कारोबार में चार चांद लगाती है विश्वकर्मा पूजा
मान्यता है की विश्वकर्मा जी की पूजा करने से व्यापारमें तरक्की होती है, इसलिए इस दिन फैक्ट्री, कल-कारखानों, हार्डवेयर की दुकानों में विश्वकर्मा पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन जो लोग मशीनों औजारों आदि से अपना काम करते है, वे सुबह सबसे पहले अपने कल-कारखानों की सफाई के साथ अपने मशीनों और औजारों की भी अच्छी तरह से साफ़-सफाई करते हैं। इसके बाद विश्वकर्मा भगवान की विधिवत पूजा की जाती है। कई स्थानों पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करने का भी चलन है।

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