आइए जानते हैं शिवलिंग पर गिरने वाली बूंदों के रहस्य के बारे में,Secret of Shivling

हिंदू धर्म में शिवलिंग और उस पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। सावन के महीने में तो शिव भक्त भोलेनाथ की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं।
Secret of ShivLing
कई मंदिरों में शिवलिंग के ऊपर कलश भी लगा होता है, जिससे लगातार 24 घंटे जल की बूंदें गिरती रहती हैं। बहुत कम लोगों को इसके पीछे तर्क के बारे में पता होगा। आइए, जानते हैं शिवलिंग पर लगे कलश और उससे लगातार गिरने वाली बूंदों के रहस्य के बारे में
पौराणिक कथाओं के मुताबिक समुद्र मंथन के समय जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शिव ने अपने कंठ में समाहित कर इस सृष्टि की रक्षा की।विषपान के बाद शिवजी को नीलकंठ के नाम से पुकारा जाने लगा।
मान्यता है कि विष का प्रभाव कम करने के लिए ही शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। शिवपुराण के मुताबिक भोलेनाथ स्वयं ही जल हैं। इसलिए जल से ही उनका अभिषेक करने से उत्तम फल मिलता है।अब सवाल उठता है कि कलश के जरिए शिवलिंग पर लगातार जल की बूंदें क्यों गिराई जाती हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि इससे वातावरण में मौजूद नकारात्‍मक ऊर्जा नष्‍ट हो जाती है। जैसा कि समुद्र मंथन के दौरान शिव ने विषपान किया था, इससे उनका मस्‍तक गर्म हो गया।
देवताओं ने उन्हें शांत करने के लिए जल डाल कर शांत किया था। बता दें कि यहां मस्‍तक गर्म होने का अर्थ नकारात्‍मक प्रभावों और भावों को जल चढ़ा कर शांत करने से है।
वैज्ञानिक अध्‍ययनों की मानें तो सभी ज्योत्रिलिंगों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। एक शिवलिंग एक न्यूक्लिअर रिएक्टर्स की तरह रेडियो एक्‍टिव एनर्जी से भरा होता है।
यही वजह है कि इस प्रलंयकारी ऊर्जा को शांत रखने के लिए ही शिवलिंगों पर लगातार जल चढ़ाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि तांबे के कलश से निकला जल शिवलिंग से मिलकर औषधि के रूप में भी कारगर होता है।

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