कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग की पूजा नहीं करनी चाहिए ,जाने क्यों

हिंदू धर्म में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन मान्यता है कि कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग की पूजा नहीं करनी चाहिए। इसके कई कारण गिनाए जाते हैं। डालते हैं एक नजर अहम वजहों पर:

कन्याओं को शिवलिंग पूजा से दूर रखने की एक वजह यह भी है कि शिवलिंग योनि का प्रतिनिधित्व करता है, जो देवी शक्ति का प्रतीक है। शिवपुराण में इसे ज्योति का प्रतीक भी माना गया है। इस रूप में भगवान शिव तपस्या में लीन रहते हैं।

किंवदंतियों की मानें तो कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग के नजदीक जाने की भी अनुमति नहीं है। अविवाहिता को शिवलिंग की परिक्रमा भी नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे भगवान शिव की साधना भंग हो सकती है।

देवों के देव महादेव की तपस्या भंग न हो जाए, इसलिए कन्याओं को शिवलिंग से दूर रखा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में मान्यता है कि शिव की समाधि भंग हो जाए तो शिव को शांत करना आसान नहीं है।

हिंदू धर्म शास्त्रों में शिवलिंग की पूजा करने का विशेष विधि विधान है। इसके लिए खास नियमों का पालन किया जाता है। तभी शिव की अनुकंपा हम पर होती है। यही वजह है कि कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग की पूजा से दूर रखा जाता है।

लेकिन शिवलिंग की पूजा से वंचित कन्याएं भगवान शिव की आराधना जरूर कर करती हैं। अपने लिए वे विधि-विधान से शिव जी के सोमवार का व्रत रख सकती हैं। मान्यता है कि मनुष्य ही नहीं, देवता और अप्सराएं भी भगवान शिव की पूजा बेहद सावधानी से करती हैं।

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