"विनायकी हैं भगवान गणेश का स्त्री रुप" Loard Ganseh Female Roop
"विनायकी हैं भगवान गणेश का स्त्री रुप"
हर शुभ काम में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है । हर हिंदू घर में गणेश जी की मूर्तियां पाई जाती हैं लेकिन बहुत कम लोग गणेश के स्त्री स्वरूप को जानते हैं । गणेश के स्त्री रूप को “विनायकी” नाम से संभोदित करा गया है ।
विनायकी को विघ्नेश्वरी, गणेशनी, गजाननी, गजरूपा, रिद्धिसी, पीताम्बरी, गणेशी, गजानंदी, स्त्री गणेश और गजानना जैसे कई नामों से अलग अलग ग्रंथों में लिखा गया है । इनकी मूर्तियों का स्वरूप बिलकुल गणेशजी जैसा ही है, यानी सर हाथी का और धड़ पुरूष की जगह मानव स्त्री का हो जाता है । विनायकी को कई जगह 64 योगिनियों में भी शामिल किया गया है। विनायकी की सबसे पुरानी टेराकोटा मूर्ति पहली शताब्दी ईसा पूर्व राजस्थान के रायगढ़ में पाई गई थी, ये तब की बात है जब मंदिरो में पूजा नहीं होती है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर बनाकर पूजा करना गुप्त काल में यानी तीसरी चौथी शताब्दी में शुरू हुआ था। बता दें कई ग्रंथों में विनायकी को ईशान की बेटी कहा गया है, जो शिव के अवतार हैं।
हर शुभ काम में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है । हर हिंदू घर में गणेश जी की मूर्तियां पाई जाती हैं लेकिन बहुत कम लोग गणेश के स्त्री स्वरूप को जानते हैं । गणेश के स्त्री रूप को “विनायकी” नाम से संभोदित करा गया है ।
विनायकी को विघ्नेश्वरी, गणेशनी, गजाननी, गजरूपा, रिद्धिसी, पीताम्बरी, गणेशी, गजानंदी, स्त्री गणेश और गजानना जैसे कई नामों से अलग अलग ग्रंथों में लिखा गया है । इनकी मूर्तियों का स्वरूप बिलकुल गणेशजी जैसा ही है, यानी सर हाथी का और धड़ पुरूष की जगह मानव स्त्री का हो जाता है । विनायकी को कई जगह 64 योगिनियों में भी शामिल किया गया है। विनायकी की सबसे पुरानी टेराकोटा मूर्ति पहली शताब्दी ईसा पूर्व राजस्थान के रायगढ़ में पाई गई थी, ये तब की बात है जब मंदिरो में पूजा नहीं होती है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर बनाकर पूजा करना गुप्त काल में यानी तीसरी चौथी शताब्दी में शुरू हुआ था। बता दें कई ग्रंथों में विनायकी को ईशान की बेटी कहा गया है, जो शिव के अवतार हैं।
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