पितृ दोष निवारण के उपाय, Pitar Dosh Nivaran Ke upaye
वैदिक ज्योतिष में पितृ दोष निवारण के उपाय बताये गये हैं। हिंदू धर्म में पितृ दोष को बड़ा दोष माना जाता है इसलिए पितृ दोष की शांति के लिए उपाय किये जाते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे कि पितृ दोष और पितृ दोष की शांति के उपाय। ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है तो उसे अनेक प्रकार के कष्टों से गुज़रना पड़ता है। जैसे- पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को अपने जीवन में अस्थिरता, संतान कष्ट, नौकरी-व्यापार में परेशानी, आर्थिक संकट, गृह क्लेश, शारीरिक और मानसिक कष्ट आदि का सामना करना पड़ता है इसलिए उनकी कुंडली से पितृ दोष निवारण आवश्यक है। पितृ दोष मुक्ति उपाय को जानने से पहले आइए जानते हैं कि पितृ दोष क्या है? किन कारणों से कुंडली में पितृदोष बनता है?

पितृ दोष क्या है ?
पितृ दोष निवारण के उपाय जानने से पहले समझें पितृ दोष क्या होता है? पूर्वजों की अतृप्ति के कारण उनके वंशजों को होने वाले कष्ट को पितृ दोष कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि मरने के बाद हमारे पूर्वजों की आत्मा अपने परिवार को देखती हैं और महसूस करती हैं कि उनके परिवार के लोग उनके प्रति अनादर का भाव रखते हैं व उनकी उपेक्षा करते हैं। इस बात से दुखी होकर दिवंगत आत्माएँ अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं, जिसे पितृ दोष कहा जाता है। इसे एक प्रकार का अदृश्य कष्ट माना जाता है।
पितृ दोष का कारण
यदि जातक के लग्न एवं पंचम भाव में सूर्य, मंगल एवं शनि हो और अष्टम भाव में बृहस्पति और राहु स्थित हो तो पितृ दोष बनता है। इसके अलावा अष्टमेश या द्वादशेश का संबंध सूर्य या बृहस्पति से हो तो व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित होता है। वहीं सूर्य, चंद्र एवं लग्नेश का राहु से संबंध होना भी कुंडली में पितृ दोष का निर्माण करता है। यदि कुंडली में राहु एवं केतु का संबंध पंचम भाव या भावेश से हो तो पितृ दोष बनता है। यदि कोई व्यक्ति अपने हाथ से अपने पिता की हत्या करता है, उन्हें कष्ट पहुँचाता या फिर अपने बुजुर्गों का अनादर करता है तो अगले जन्म में उसे पितृ दोष का कष्ट झेलना पड़ता है। हालांकि पितृ दोष के उपाय करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और अशुभ प्रभाव खत्म होता है।
पितृ दोष के लक्षण
गर्भधारण में समस्यागर्भपातमानसिक व शारीरिक दृष्टि से विकलांग बच्चेबच्चों की अकाल मृत्युविवाह में बाधावैवाहिक जीवन में क्लेशबुरी आदत (70 फ़ीसदी व्यसन पितृदोष के कारण होते हैं)नौकरी में कठिनाईक़र्ज़
पितृ दोष निवारण के उपाय
पितृ दोष निवारण के उपाय करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। कुंडली में पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त करने हेतु शास्त्रों में पितृ दोष निवारण यंत्र के बारे में बताया गया है। ऐसा विश्वास है कि यदि इस यंत्र को पूर्ण विधि-विधान से स्थापित किया जाए तो कुंडली में पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। किसी पंडित की सहायता से इस यंत्र को स्थापित किया जा सकता है। यंत्र की स्थापना के बाद मंत्र सहित इस यंत्र की प्रतिदिन आराधना करें। इस यंत्र में पितरों की शक्ति एवं उनका आशीर्वाद समाहित होता है इसलिए इसकी पूजा से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पितृ दोष की शांति के लिए हर माह की अमावस्या को इस यंत्र की पूजा अवश्य करें।
पितृ दोष निवारण मंत्र-
ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः प्रथम पितृ नाराणाय नमः नमो भगवते वासुदेवाय नमः
पितृ दोष निवारण के टोटके
शनिवार को सूर्योदय से पूर्व कच्चा दूध व काले तिल पीतल के वृक्ष पर चढ़ाएँसोमवार को आक के 21 पुष्पों से भगवान शिव जी की पूजा करेंअपने पूर्वजों से चांदी लेकर नदी में प्रवाहित करेंअपने से बड़ों का आदर करेंमाता जी का हमेशा सम्मान करेंपूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में इमली का बांदा लाकर घर में रखेंअपने इष्टदेव की नियमित रूप से पूजा-पाठ करेंब्रह्मा गायत्री का जप अनुष्ठान कराएँउत्तराफाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ताड़ के वृक्ष की जड़ को घर लाएँ और उसे किसी पवित्र स्थान पर स्थापित करेंप्रत्येक अमावस्या को अंधेरा होने पर बबूल के वृक्ष के नीचे भोजन करेंअमावस्या के दिन पितरों को भोग लगाएँअमावस्या के दिन पितरों के नाम से ब्राह्मïणों को भोजन कराएँश्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन पितरों को जल और काले तिल अर्पण करेंसात मंगलवार तथा शनिवार को जावित्री और केसर की धूप घर में देंमंगल यंत्र को स्थापित कर उसकी पूजा करेंप्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्यदेव को नमन करेंशुक्ल पक्ष को प्रथम रविवार के दिन सूर्य यंत्रको स्थापित करेंसूर्य देव को नित्य तांबे के पात्र से जल का अर्घ्य देंपाँच मुखी रुद्राक्ष धारण करेंपशु-पक्षियों को रोटी आदि खिलाएँघर में दक्षिण दिशा की दीवार में अपने पूर्वजों का माला सहित चित्र लगाएँमाँ काली की नियमित आराधना करेंप्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करे।
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