हज के दौरान जायरीन करते हैं ये 12 चीजें,12 important things about Haj
1. इहराम :
हज यात्रा पर जाने वाले लोगों को खास तरह के कपड़े पहनने होते हैं. पुरुषों को दो टुकड़ों वाला जिसमें एक बिना सिलाई का सफेद चोगा ओढ़ना पड़ता है. जबकि महिलाएं सफेद रंग के खुले कपड़े पहनती हैं, जिसमें उनका पूरा बॉडी ढका होता है सिवाए हाथ व चेहरे के. इस दौरान श्रद्धालुओं को लड़ाई-झगड़े, परफ्यूम व नाखून काटने से परहेज करना होता है.
2. तवाफ :
हज की आरंभ मक्का से होती है. यहां पहुंचकर लोग तवाफ करते हैं. इस्लाम के अनुसार काबा का सात बार घड़ी की उल्टा दिशा में चक्कर लगाना तवाफ कहलाता है. यहां आने वाले हर शख्स को यह प्रक्रिया पूरी करती होती है.
3. साई :
मक्का में मौजूद हाजी मस्जिद के दो पत्थरों की बहुत ज्यादा अहमियत है. श्रद्धालु इन पत्थरों के बीच सात बार चक्कर काटते हैं. इसे साई कहते हैं. यह इब्राहिम की बीवी हाजरा की पानी की तलाश की प्रतिमूर्ति होता है.
4. अब तक उमरा :
शुरुआती तीन चरण पूरा करने के बाद वास्तविक हज शुरु होता है. पहले की तीन प्रक्रियाओं को उमरा कहते हैं. हज की मुख्य रस्में इसके बाद शुरु होती हैं. इसकी आरंभ शनिवार से होती है जब हाजी मुख्य मस्जिद से पांच किमी दूर मीना पहुंचते हैं.
5. जबल उर रहमा :
अगले दिन लोग एक पहाड़ी के पास जमा होते हैं जिसे जबल उर रहमा बोलते हैं. मीना से 10 किमी दूर अराफात पहाड़ी के इर्द-बिर्द जमा ये लोग नमाज अता करते हैं.
6. मुजदलफा :
सूरज छिपने के बाद हाजी अराफात व मीना के बीच स्िथत मुजदलफा जाते हैं. वहां वे आधी रात तक रहते हैं. वहीं वे शैतान को मारने के लिए पत्थर जमा करते हैं.
7. ईद :
अगला दिन ईद के जश्न का होता है जब हाजी मीना लौटते हैं. वहां वे प्रतिदिन के तीन बार के पत्थर मारने की रस्म निभाते हैं. आमतौर पर सात बार पत्थर मारने होते हैं.
8. इस्माइल की कुर्बानी :
पहली बार पत्थर मारने के बाद बकरे हलाल किए जाते हैं व जरूरतमंद लोगों के बीच मांस बांटा जाता है. बकरे की हलाली को अब्राहम के अल्लाह की खातिर अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी का प्रतीक माना जाता है.
9. सफाई :
इसके बाद हाजी अपने बाल कटवाते हैं. पुरुष पूरी तरह से गंजे हो जाते हैं जबकि महिलाएं थोड़े से बाल कटवाती हैं. यहां से वे अपने सामान्य कपड़े पहन सकते हैं.
10. फिर से तवाफ :
हाजी दोबारा मक्का की मुख्य मस्जिद में लौटते हैं व काबा के सात चक्कर लगाते हैं.
11. पत्थर मारना :
मक्का के बाद हाजी दोबारा मीना जाते हैं व अगले दो-तीन दिनों तक पत्थर मारने की रस्म अदायगी करते हैं.
12. आखिर में फिर काबा :
आखिर में लोग फिर से काबा जाते हैं व उसके सात चक्कर लगाते हैं. इसके साथ ही हज पूरा हो जाता है.
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