अभी भी भारत की इस गुफा में है बेशकीमती खजाना, लेकिन इस वहज से यहाँ नहीं पहुंच सकता है कोई भी

अभी भी भारत की इस गुफा में है बेशकीमती खजाना, लेकिन इस वहज से यहाँ नहीं पहुंच सकता है कोई भी


खजाना इसकी चाहत हर किसी को होती है। कौन नहीं चाहता है खाजना पाना।
लेकिन ये हर किसी को आसानी से नही मिलता। खबरों की मानें तो ऐसे कहा जाता है कि भारत में राजा महराजो के पास बहुत ही खजाने छुपे हुये थे। औऱ वो बेशकीमती है,लेकिन इस आजतक कोई भी खोज नहीं सका है।
बिहार की धरती ऐतिहासिक रूप से कितनी समृद्ध है यह कहने की जरूरत नहीं हैं जिसने महान मगध सम्राज्य का उत्थान और पतन देखा है.बौद्ध और जैन धर्म के विकास के लिए बिहार की आबो हवा से काफी ऊर्जा मिलती है. इस धरती में ऐसे कई ऐतिहासिक राज आज तक भी छुपे हुए हैं जिन्हें दुनिया अभी तक नहीं जान पाई है और जानने की भरपूर कोशिश कर रही है. ऐसा ही एक राज छुपा है सोनगढ़ गुफा में, जो बिहार के एक छोटे से शहर राजगीर में है.इस गुफा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है एक दूसरे से कहने पर लोग यह भी सुनते आए है कि इस गुफा में गहरा राज़ छुपा है.


नालंदा जिले में स्थित राजगीर शहर कई मायनों मे अपने आप में महत्वपूर्ण है.यह बेहद खुबसूरत शहर किसी समय में प्राचीन समय मे मगध सम्राज्य की राजधानी हुआ करता था, यही पर भगवान बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था.यह शहर बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए बेहद प्रसिद्ध है और दूर-दूर से लोग इसको देखने आते है.
यहां के सोन भंड़ार गुफ़ा के बारे मे कुछ ऐसी बाते प्रचलित है. एक कथा भी प्रचलिेत है कि इसमें बेशकीमती खजाना छुपा है, जिसे की आज तक कोइ खोज नही पाया बताया जाता है कि यह खजाना मौर्ये शासक बिम्बिसार का है, हालांकि कुछ लोग अभी भी इसे पूर्व मगध सम्राट जरासंघ का भी बताते है लेकिन इस खजाने के बिम्बिसार के होने के प्रमाण ज्यादा हैं. इस गुफ़ा के पास एक जेल के अवशेष हैं जिसके बारे में यह विश्वास है कि बिम्बिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु ने बंदी बना कर यहीं रखा था.
ऐसा कहा जाता है कि खजाने का मुख्य प्रवेश द्वार पत्थर कि एक बहुत बडी चट्टान नुमा दरवाज़े से बन्द किया हुआ है जिसे आज तक कोई खोल नहीं पाया है और ना ही खोलने की कोशिश कि है . गुफा मे अन्दर जाते ही 10.4 मीटर लम्बा,  5.2  मीटर चौड़ा  तथा 1.5 मीटर ऊंचा एक कमरा आता है जो इस खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए था इसी कमरे की पीछे जो दिवार है उसे खजाने तक पहुंचने के लिए रास्ता खुलता है.
गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि मे कुछ लिखा है, माना जाता है कि इसमें इस दरवाज़े को खोलने का तरीका बताया गया है जिसे आजतक इसे कोई पढ़ नहीं पाया है और पढने कि कोशिश करता है तो नाकाम रहा है.
अंग्रज़ों ने एक बार चट्टान से बने इस दरवाजे को तोप से उड़ाने कि भी भरपूर कोशिश की थी पर उन्हें इस काम में सफलता नहीं मिल पाई और वो इस काम को करने में असफल रहे. तोप के गोले का निशान आज भी चट्टान पर साफ़-साफ़ दिखाई देता है. सोन भंड़ार गुफा के पास ही ऐसी ही एक और गुफा है जो आंशिक रूप से तबाह हो चुकी है और सामने का हिस्सा गिर चुका है. इस गुफा की दक्षिणी दीवार पर जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां उकेरी गई है. दोनों ही गुफायें तीसरी और चौथी शताब्दी मे चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं और इनके कमरे पॉलिश किये हुए हैं. पॉलिश की हुईं गुफायें भारत मे बहुत कम है इसलिए इन गुफाओं का महत्व और बढ़ जाता है.

कुछ विद्वानो का यह भी मानना है कि खजाने तक पहुचने का रास्ता वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, जो कि सोन भंडार गुफा के दूसरी तरफ़ तक पहुंचती है. सच्चाई चाहे जो भी हो यह गुफा आम पर्यटक, इतिहास और पुरातत्व के विशेषज्ञ सभी के लिए कौतहुल का विषय तो है ही.

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