नरक चतुर्दशी: कृष्ण, हनुमान और यमराज एक साथ पूजे जाते हैं आज
छोटी
दीवाली से जुड़ी कई कहानियां हैं, लेकिन इसे लेकर सबसे प्रसिद्ध कहानी राक्षस नरकासुर और उसके वध की है. माना जाता है कि नरकासुर के वध के बाद उत्सव मनाते हुए लोगों ने दीये जलाए थे, तब ही से दीवाली से पहले छोटी दीवाली या नरक चतुर्दशी मनाई जाने लगी. आज देशभर में नरक चौदस मनाया जा रहा है. इसे नरक चतुर्दशी और सौंदर्य चौदस भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन अच्छी तरह से स्नान और श्रृंगार से शरीर निरोग रहता है और सुख-समृद्धि आती है. आज के दिन यमराज की पूजा विशेष तौर पर की जाती है. जानें, इस दिन का महत्व और इससे जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में.
यम
की
होती
है
पूजा
इस
दिन को यम देव का दिन भी कहा जाता है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यमदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है ताकि वे प्रसन्न रहें. इससे भक्त या उसके आत्मजनों को दुर्घटना या अकाल मृत्यु का डरनही रहता है. चौदस के रोज तरह-तरह के उबटन लगाकर स्नान करते हैं और फिर यम देव को अंजुली में भरकर जल चढ़ाते हैं.
क्यों
होती
है
हनुमान
की
पूजा
कई
जगहों पर इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव की तरह से भी मनाया जाता है, क्योंकि इस तिथि को हनुमान जी का जन्म हुआ था. हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ और
रात जागरण किया जाता है. हनुमान जी को सिंदूरदान भी करते हैं.
नरक
चतुर्दशी
की
कथा
दीवाली
के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाते हैं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने इस दिन नरकासुर का वध किया था. नरकासुर एक पापी राजा था, यह अपने शक्ति के बल से देवताओं पर अत्याचार करता था और अधर्म करता था. उसने सोलह हजार कन्याओं को बंदी बनाकर रखा था. इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया. बुराई पर सत्य की जीत पर लोगो ने अगले दिन उल्लास के साथ दीपक जलाकर दीवाली मनायी.
ऐसे
करें
पूजा
नरक
चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. इस दिन तेल से नहाया जाता है. नहाने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं फिर भगवान श्री कृष्ण की अराधना करें. पूजा के समय फल, फूल और धूप लगाएं. दीये के लिए मिट्टी के दीपक की जगह आटे से बना दीया जलाएं. शाम को दहलीज पर पांच या सात दीये लगाएं.
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