ये हैं हनुमानजी के 15 अनूठे मंदिर...
भारत में प्राचीन मंदिरों और पुराणों का खजाना भरा हुआ है और इसी के साथ यहां की धरती को देवभूमि के तौर पर भी जाना जाता है. हिंदू ध्ार्म में हनुमानजी को जीवंत देवता के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि जो उनकी श्रृद्धाभाव से पूजा करता है, वह उसे अपनी उपस्थिति का एहसास जरूर कराते हैं. इसी तरह हनुमानजी के इन 15 मंदिरों की भी अनूठी मान्यता है और यहां पूरे साल भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है.
हनुमान मंदिर, इलाहबाद, उत्तर प्रदेश (Uttarpardesh)
इलाहबाद किले से सटे हुए इस प्राचीन मंदिर में लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा है. यह सम्पूर्ण भारत का एकमात्र मंदिर है जिसमें हनुमान जी की लेटी हुई मुद्रा में 20 फीट लम्बी प्रतिमा है. हनुमान जयंती पर यहां पूरे देश से हजारों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं
इलाहबाद किले से सटे हुए इस प्राचीन मंदिर में लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा है. यह सम्पूर्ण भारत का एकमात्र मंदिर है जिसमें हनुमान जी की लेटी हुई मुद्रा में 20 फीट लम्बी प्रतिमा है. हनुमान जयंती पर यहां पूरे देश से हजारों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं
हनुमान धारा, चित्रकूट (Chitrkut)
उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थित है और सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन किलोमीटर है. पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर के पास दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है. इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थित है और सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन किलोमीटर है. पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर के पास दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है. इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं.
उलटे हनुमानजी मंदिर, इंदौर (indore)
भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है
यह धार्मिक स्थल जहां भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है. मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है. सांवेर का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहां आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं.भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है
मेहंदीपुर बालाजी, राजस्थान rajasthan
राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान है. यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है. दो पहाड़ियाें के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं.
राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान है. यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है. दो पहाड़ियाें के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं.
सालासर बालाजी हनुमान मंदिर, सालासर, राजस्थान salaar Rajasthan
हनुमानजी का यह मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में है. गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर वाले बालाजी के नाम यह मंदिर प्रसिद्ध है. हनुमानजी की यह प्रतिमा दाड़ी व मूंछ से सुशोभित है.
हनुमानजी का यह मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में है. गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर वाले बालाजी के नाम यह मंदिर प्रसिद्ध है. हनुमानजी की यह प्रतिमा दाड़ी व मूंछ से सुशोभित है.
हनुमानगढ़ी, अयोध्या Ayodhya
धर्म ग्रंथों के अनुसार अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है. यहां का सबसे प्रमुख श्रीहनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है. इसमें 60 सीढिय़ां चढ़ने के बाद श्रीहनुमानजी का मंदिर आता है,
धर्म ग्रंथों के अनुसार अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है. यहां का सबसे प्रमुख श्रीहनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है. इसमें 60 सीढिय़ां चढ़ने के बाद श्रीहनुमानजी का मंदिर आता है,
श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर, गुजरात SarangPur Gujrat
अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है. यहां एक प्रसिद्ध मारुति प्रतिमा है. महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस शिला मूर्ति की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1905 आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन की थी. जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में श्रीहनुमानजी का आवेश हुआ और यह हिलने लगी. तभी से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है.
अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है. यहां एक प्रसिद्ध मारुति प्रतिमा है. महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस शिला मूर्ति की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1905 आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन की थी. जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में श्रीहनुमानजी का आवेश हुआ और यह हिलने लगी. तभी से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है.
बेट द्वारका हनुमान दंडी मंदिर, गुजरात Gujrat
कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं. अहिरावण ने भगवान श्रीराम लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपा कर रखा था. जब हनुमानजी श्रीराम-लक्ष्मण को लेने के लिए आए, तब उनका मकरध्वज के साथ घोर युद्ध हुआ. अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया. उनकी स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है.
कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं. अहिरावण ने भगवान श्रीराम लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपा कर रखा था. जब हनुमानजी श्रीराम-लक्ष्मण को लेने के लिए आए, तब उनका मकरध्वज के साथ घोर युद्ध हुआ. अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया. उनकी स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है.
यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर, हंपी, कर्नाटक Karnatka
बेल्लारी जिले के हंपी के मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है. विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है. वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस स्थान का वर्णन मिलता है. आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं. इस मंदिर में श्रीराम नवमी के दिन से लेकर तीन दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है.
बेल्लारी जिले के हंपी के मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है. विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है. वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस स्थान का वर्णन मिलता है. आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं. इस मंदिर में श्रीराम नवमी के दिन से लेकर तीन दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है.
प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली New Delhi
यहां महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है. यहां पर उपस्थित हनुमान जी स्वयम्भू हैं. बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है. दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल में बसाया गया था.
यहां महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है. यहां पर उपस्थित हनुमान जी स्वयम्भू हैं. बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है. दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल में बसाया गया था.
महावीर हनुमान मंदिर, पटना, बिहार Bihar
पटना जंक्शन के ठीक सामने महावीर मंदिर के नाम से श्री हनुमान जी का मंदिर है. उत्तर भारत में मां वैष्णो देवी मंदिर के बाद यहां ही सबसे ज्यादा चढ़ावा आता है. इस मंदिर के अन्तर्गत महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य हॉस्पिटल, महावीर आरोग्य हॉस्पिटल तथा अन्य बहुत से अनाथालय एवं अस्पताल चल रहे हैं. यहां श्री हनुमान जी संकटमोचन रूप में विराजमान हैं.
पटना जंक्शन के ठीक सामने महावीर मंदिर के नाम से श्री हनुमान जी का मंदिर है. उत्तर भारत में मां वैष्णो देवी मंदिर के बाद यहां ही सबसे ज्यादा चढ़ावा आता है. इस मंदिर के अन्तर्गत महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य हॉस्पिटल, महावीर आरोग्य हॉस्पिटल तथा अन्य बहुत से अनाथालय एवं अस्पताल चल रहे हैं. यहां श्री हनुमान जी संकटमोचन रूप में विराजमान हैं.
डुल्या मारुति, पूना, महाराष्ट्र Pune Maharashtra
पूना के गणेशपेठ में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. श्रीडुल्या मारुति का मंदिर 350 वर्ष पुराना है. पत्थर का बना यह मंदिर बहुत ही आकर्षक और भव्य है. मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित की गई है. हनुमानजी की इस मूर्ति की दाईं ओर श्रीगणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित है.
पूना के गणेशपेठ में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. श्रीडुल्या मारुति का मंदिर 350 वर्ष पुराना है. पत्थर का बना यह मंदिर बहुत ही आकर्षक और भव्य है. मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित की गई है. हनुमानजी की इस मूर्ति की दाईं ओर श्रीगणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित है.
श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश Uttar pardesh
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है. यहां का वातावरण एकांत, शांत एवं उपासकों के लिए दिव्य साधना स्थली के योग्य है. मंदिर के प्रांगण में श्रीहनुमानजी की दिव्य प्रतिमा स्थापित है. श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर के समीप ही भगवान श्रीनृसिंह का मंदिर भी स्थापित है. ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है.
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है. यहां का वातावरण एकांत, शांत एवं उपासकों के लिए दिव्य साधना स्थली के योग्य है. मंदिर के प्रांगण में श्रीहनुमानजी की दिव्य प्रतिमा स्थापित है. श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर के समीप ही भगवान श्रीनृसिंह का मंदिर भी स्थापित है. ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है.
श्री पंचमुख आंजनेयर हनुमान, तमिलनाडु Tamilnadu
तमिलनाडु के कुम्बकोनम नामक स्थान पर श्री पंचमुखी आंजनेयर स्वामी जी (श्री हनुमान जी) का बहुत ही मनभावन मठ है. यहां पर श्री हनुमान जी की 'पंचमुख रूप' में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है. माना जाता है कि हनुमान जी ने अहिरावण और महिरावण का वध करने के लिए पंचमुख रूप धारण किया था. मान्यता है कि प्रभु के इस रूप के दर्शन सारे संकट और बंधन दूर करते हैं.
तमिलनाडु के कुम्बकोनम नामक स्थान पर श्री पंचमुखी आंजनेयर स्वामी जी (श्री हनुमान जी) का बहुत ही मनभावन मठ है. यहां पर श्री हनुमान जी की 'पंचमुख रूप' में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है. माना जाता है कि हनुमान जी ने अहिरावण और महिरावण का वध करने के लिए पंचमुख रूप धारण किया था. मान्यता है कि प्रभु के इस रूप के दर्शन सारे संकट और बंधन दूर करते हैं.
गिरजाबंध हनुमान मंदिर, छत्तीसगढ़ Chattisgarh
बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर जिसे महामाया नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है. इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है. खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं.
बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर जिसे महामाया नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है. इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है. खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं.
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