Mata Mansa Devi, Haridwar

मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है। इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। इनके पति जगत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। इन्हें नागराज वासुकी की बहन के रूप में पूजा जाता है, प्रसिद्ध मंदिर एक शक्तिपीठ पर हरिद्वार में स्थापित है। इन्हें शिव की मानस पुत्री माना जाता है परंतु कई पुरातन धार्मिक ग्रंथों में इनका जन्म कश्यप के मस्तक से हुआ हैं, ऐसा भी बताया गया है। कुछ ग्रंथों में लिखा है कि वासुकि नाग द्वारा बहन की इच्छा करने पर शिव नें उन्हें इसी कन्या का भेंट दिया और वासुकि इस कन्या के तेज को न सह सका और नागलोक में जाकर पोषण के लिये तपस्वी हलाहल को दे दिया। इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल नें प्राण त्यागा।
मूलतः आदिवासी देवी देवी मनसा का पूजन निम्न वर्ग के लोग करते थे परंतु धीरे धीरे इनकी मान्यता भारत में फैल गई। उनके मंदिर की पूजा मूल रूप से आदिवासी करते थे पर धीरे धीरे उनके मंदिरों को अन्य दैवीय मंदिरों के साथ किया गया प्राचीन ग्रीस में भी मनसा नामक देवी का प्रसंग आता है। इन्हें कश्यप की पुत्री तथा नागमाता के रूप में माना जाता था तथा साथ ही शिव पुत्री, विष की देवी के रूप में भी माना जाता है। 14 वी सदी के बाद इन्हे शिव के परिवार की तरह मंदिरों में आत्मसात किया गया। यह मान्यता भी प्रचलित है कि इन्होने शिव को हलाहल विष के पान के बाद बचाया था, परंतु यह भी कहा जाता है कि मनसा का जन्म समुद्र मंथन के बाद हुआ।
विष की देवी के रूप में इनकी पूजा बंगाल क्षेत्र में होती थी और अंत में शैव मुख्यधारा तथा हिन्दू धर्म के ब्राह्मण परंपरा में इन्हें मान लिया गया।
इनके सात नामों के जाप से सर्प का भय नहीं रहता। ये नाम इस प्रकार है जरत्कारू, जगतगौरी, मनसा, सियोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जगतकारुप्रिया, आस्तिकमाता और विषहरी।



Manasa, also Mansa Devi, is a Hindu folk goddess of snakes, worshipped mainly in Bengal and other parts of North and northeastern India, chiefly for the prevention and cure of snakebite and also for fertility and prosperity. Manasa is the sister of Vasuki, king of Nāgas (snakes) and wife of sage Jagatkāru (Jaratkāru). She is also known as Vishahara (the destroyer of poison), Jagadgaurī, Nityā (eternal) and Padmavati.
Her myths emphasize her bad temper and unhappiness, due to rejection by her father Shiva and her husband, and the hatred of her stepmother, Chandi (Shiva's wife, identified with Parvati in this context). In some scriptures, sage Kashyapa is considered to be her father, rather  than Shiva. Manasa is depicted as kind to her devotees, but harsh to people who refused to worship her.
Denied full godhead by her mixed parentage, Manasa’s aim was to fully 
establish her authority as a goddess and to acquire steadfast human devotees.

Puranas are the first scriptures to speak about her birth. They declare that sage Kashyapa is her father, not Shiva as described in the Mangalkavyas.Once, whenserpents and reptiles had created chaos on the earth, sage Kashyapa created goddess Manasa from his mind (mana). The creator god Brahma made her the presiding deity of snakes and reptiles. Manasa gained control over the earth, by the power of mantras she chanted. Manasa then propitiated the god, Shiva, who told her to please Krishna. Upon being pleased, Krishna granted her divine Siddhi powers and ritually worshipped her, making her an established goddess.
Kashyapa married Manasa to sage Jaratkaru, who agreed to marry her on the condition that he would leave her if she disobeyed him. Once, when Jaratkaru was awakened by Manasa, he became upset with her because she awakened him too late for worship, and so he deserted her. On the request of the great Hindu gods, Jaratkaru returned to Manasa and she gave birth to Astika, their son

No comments

Powered by Blogger.