कृष्ण के जीवन में आठ अंक
पुराणों के
अनुसार
आठवें
अवतार
के रूप में विष्णु ने आठवें मनु वैवस्वत मन्वंतर के अट्ठाईसवें द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप में मथुरा के कारागार में जन्म लिया था। उनका जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के सात मुहूर्त निकलने के बाद आठवें मुहूर्त में हुआ।
तब
रोहिणी
नक्षत्र
तथा अष्टमी तिथि थी जिसके संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5125 वर्ष पूर्व) को हुआ हुआ। ज्योतिषियों अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था।
कृष्ण
जन्म
के दौरान आठ का जो संयोग बना उसमें क्या कोई रहस्य छिपा है। गौरतलब है कि
कृष्ण की आठ ही पत्नियां थी। आठ अंक का उनके जीवन में बहुत महत्व रहा है।कृष्ण को चाहने वाली हजारों महिलाएं थीं। प्रत्येक महिला का जीवन रोचक और महत्वपूर्ण है। कृष्ण ने आठ महिलाओं से विवाह किया- रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा।
राधा,
ललिता
आदि उनकी प्रेमिकाएं थीं। उक्त सभी को सखियां भी कहा जाता है। राधा की कुछ सखियां भी कृष्ण से प्रेम करती थीं जिनके नाम निम्न हैं- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रग्डदेवी और सुदेवी।
ब्रह्मवैवर्त्त पुराण अनुसार कृष्ण की कुछ ही प्रेमिकाएं थीं जिनके नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा। माना जाता है कि ललिता नाम की प्रेमिका को मोक्ष नहीं मिल पाया था, तो बाद में उसने मीरा के नाम से जन्म लिया।
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