विष्‍णु अवतार के थे ये 3 गुरु, एक अवतार ने अपने गुरु से किया था युद्ध


जीवन में शिक्षा देने वाला गुरु या शिक्षक कहलाता है। ऐसे में व‍िष्‍णु जी ने व‍िभि‍न्‍न स्‍वरूपों में गुरुओं से श‍िक्षा ग्रहण की। एक अवतार में गुरु से युद्ध भी हुआ...
शिव जी:
परशुराम भी व‍िष्‍णु अवतार हैं और इनके गुरु भगवान शिव हुए थे। परशुराम काफी तेज शिष्यों में माने जाते थे। शिव जी समय-समय पर परशुराम की परीक्षा लेते रहते थे। ऐसे में एक बार जब परशुराम शिव जी से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे उस समय शिव जी ने परशुराम से एक काम करने को कहा। वह कार्य निति के विरुद्ध था। ऐसे में परशुराम गुरु आदेश मानकर सोच में पड़ गए लेकि‍न बाद में उन्‍होंने शिव जी को साफ मना कर दिया।
ऐसे में शिव जी द्वारा जबरदस्‍ती दबाव बनाए जाने पर परशुराम युद्ध करने पर उतर आए।
परशुराम के बाणों को शिव जी ने त्रिशूल से काट दिया। इस दौरान जब परशुराम ने शिव जी पर फरसे से प्रहार किया तो शिव जी ने अपने अस्‍त्र का मान रखते हुए उसे अपने ऊपर आने दिया। फरसे से उनके मस्‍तिष्‍क पर चोट लगी। इसके बाद शिव जी ने परशुराम को अपने गले लगा लि‍या। उन्‍होंने निति के विरुद्ध न जाने की प्रशंसा की। उन्‍होंने कहा कि अन्याय अधर्म से लड़ना ही सबसे बड़ा धर्म है।
संदीपनी मुनि:
विष्‍णु जी का एक अवतार भगवान श्रीकृष्‍ण का है। श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम और दोस्त सुदामा के साथ संदीपनी मुनि से शिक्षा ग्रहण की थी। इनके आश्रम में न्‍याय, राजनीति शास्‍त्र, धर्म पालन और अस्‍त्र-शस्‍त्र आदि की शिक्षा दी जाती थी। इसके अलावा यहां पर आश्रम नि‍यमावली के मुताबिक शिष्‍यों को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना होता था।
शास्‍त्रों के मुताबि‍क आश्रम श्रीकृष्‍ण संदीपनी मुनि के आश्रम में करीब 64 दिनों में शिक्षा ग्रहण सम्पूर्ण शास्त्रों का ज्ञान प्राप्‍त किया था। इस दौरान उन्‍होंने 18 दिनों में 18 पुराण, 4 दिनों में चारों वेदों का ज्ञान‍ लिया। इसके बाद 6 दिनों में 6 शास्त्र, 16 दिनों में 16 कलाएं सीखीं। इसके अलावा श्रीकृष्‍ण ने 20 दिनों में जीवन से जुड़ी दूसरी महत्‍वपूर्ण चीजें सीखी और गुरु की सेवा की।
गुरु वशिष्ट:
भगवान श्रीराम भी विष्‍णु जी के ही अवतार हैं। श्री राम जी ने वेद-वेदांगों की शिक्षा गुरु वशिष्ट से शिक्षा ग्रहण की थी। यहां पर श्री राम के साथ इनके तीनो भाई भरत, लक्ष्‍मण और शत्रुघ्न ने भी शिक्षा पाई थी। मान्‍यता है कि वहीं गुरु ब्रह्मर्षि विश्‍वामित्र श्रीराम के दूसरे गुरु हैं।
ब्रह्मर्षि विश्‍वामित्र ने भगवान श्रीरामको कई गूढ़ विद्याओं से परिचित कराया। ब्रह्मर्षि विश्‍वामित्र ने श्रीराम और लक्ष्‍मण को कई अस्‍त्र-शस्‍त्रों का ज्ञान दिया था। ब्रह्मर्षि विश्‍वामित्र ने अपने द्वारा तैयार किए गए दिव्‍यास्‍त्रों भी दोनों भाइयों को दिए थे। श्रीराम आज्ञाकारी शिष्‍य थे।

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