कार्तिक माह प्रारम्भ ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ,दान ,दीपदान, जाप से मिलेगी भगवान विष्णु की कृपा

एवं आचरण की शुद्धि के लिए संयम को महत्वपूर्ण बताया। तुलसी पूजा का महत्व अत्य अधिक है इस लिए तुलसी के पत्ते पंचामृत में डालने पर एवम भगवान का अभिषेक करने पर  चरणामृत बन जाता है। तुलसी में अनन्त औषधीय गुण भी विद्यमान हैं। इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने इन्हें विष्णु प्रिया कहकर पूजनीय माना। 
देवशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक छः माह तुलसी की विशेष पूजा होती है। कार्तिक में तो इनका अत्याधिक महत्व बढ़ जाता है। 
इसीलिए कार्तिक स्नान के साथ तुलसी के पौधे के पास जो लोग कार्तिक महात्म्य सुनते हैं उनके घरों में सुख शांति रहती है।
कार्तिक के महीने में दामोदर भगवान की पूजा की जाती हैं . यह महिना शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है
इस माह में पवित्र नदियों या घर में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता हैं . घर की महिलायें सुबह जल्दी उठ स्नान करती हैं, यह स्नान कुँवारी एवम वैवाहिक दोनों के लिए श्रेष्ठ हैं .
कार्तिक माह एकादशी
इस माह की एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी अथवा देव उठनी एकादशी कहा जाता हैं इसका सर्वाधिक महत्व होता हैं इस दिन भगवान विष्णु चार माह की निंद्रा के बाद उठते हैं जिसके बाद से मांगलिक कार्य प्रारम्भ किये जाते हैं .
इस महीने तप एवम पूजा पाठ उपवास का महत्व होता हैं जिसके फलस्वरूप जीवन में वैभव की प्राप्ति होती हैं .इस माह में तप के फलस्वरूप मोक्ष की प्राप्ति होती हैं . कार्तिक माह में श्रद्धा से पालन करने पर दीन दुखियों का उद्धार होता हैं जिसका महत्व स्वयम विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा था .इस माह के प्रताप से रोगियों के रोग दूर होते हैं जीवन विलासिता से मुक्ति मिलती हैं .
कार्तिक मास में दीपदान….
कार्तिक माह में दीप दान का विशेष महत्व होता हैं . इस दिन पवित्र नदियों में गंगा,नर्मदा,आदि स्नान कर, मंदिरों में दीप दान किया जाता हैं , यह कार्य शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता हैं .
दीप दान का रहस्य
दीप दान के पीछे का हस्य यह हैं कि इससे घर में धन,धान्य, वैभव ,सुख समृधि की प्राप्ति होती हैं . कार्तिक में लक्ष्मी जी के लिए दीप जलाया जाता हैं और प्रार्थना की जाती है , है भगवती हमारे जीवन में अंधकार दूर होकर प्रकाश देने की कृपा करें . कार्तिक में घर के मंदिर, सभी मंदिरों में , नदी के तट पर दीपक लगाने का माह्त्य पुराणों मे उल्लेखित है
कार्तिक माह से तुलसी का महत्व
कार्तिक में तुलसी की पूजा की जाती हैं और तुलसी के पत्ते खाये जाते हैं . इससे शरीर निरोग बनता हैं . ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके सूर्य देवता एवम तुलसी के पौधे को जल चढ़ाया जाता हैं . कार्तिक में तुलसी के पौधे का दान दिया जाता हैं . तुलसी के अनेकों गुण व फायदे है
कार्तिक माह में दान….
कार्तिक माह में दान का भी विशेष महत्व होता हैं . इस पुरे माह में गरीबो एवम ब्रह्मणों को दान दिया जाता हैं . इन दिनों में तुलसी दान, अन्न दान, गाय दान एवम आँवले के पौधे के दान का महत्व सर्वाधिक बताया जाता हैं . कार्तिक में पशुओं को भी हरा चारा खिलाने का महत्व होता हैं.
कार्तिक में भजन
कार्तिक माह में महिलाए, एवं श्रद्धालु मंदिरों में भजन करते हैं . अपने घरों में भी भजन करवाते है , इन दिनों रामायण पाठ, भगवत गीता पाठ आदि का भी बहुत महत्व होता हैं . इन दिनों खासतौर पर विष्णु एवम कृष्ण भक्ति की जाती हैं
भागवत कथा ,एवम अनुष्ठान ….
कार्तिक मास में प्रतिदिन नित्य कर्म करके श्री मद भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए, विष्णुशस्त्र नाम के पाठ, श्री सूक्त , गजेंद्र मोश, गोपाल सहस्त्र नाम आदि अपने यहां पूरे मास निरन्तर इनमें से किसी एक अनुष्ठान को श्रद्धा ,भक्ति पूर्वक करवाने से समस्त प्रकार के फलों की प्राप्ति होती है
कार्तिक पूजा ,विधि नियम ….
1.कार्तिक माह में कई तरह के नियमो का पालन किया जाता है, जिससे मनुष्य के जीवन में त्याग एवम संयम के भाव उत्पन्न होते हैं .
2.पुरे मास, मदिरा आदि व्यसन का त्याग किया जाता हैं . कई लोग प्याज, लहसुन, बैंगन आदि का सेवन भी निषेध मानते हैं .
3.इस माह फर्श (जमीन )पर सोना उपयुक्त माना जाता हैं कहते हैं इससे मनुष्य का स्वभाव कोमल होता हैं उसमे निहित अहम का भाव खत्म हो जाता हैं .
4.कार्तिक में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान किया जाता हैं .जो कि प्रातः 4 बजे से 6 बजे तक का होता है
5.तुलसी एवम सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता हैं .
6.काम वासना का विचार इस माह में छोड़ दिया जाता हैं .ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता हैं .
इस प्रकार पुरे माह नियमो का पालन किया जाता हैं

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