रावण से जुड़े झूठे तथ्य ...

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रावण से जुड़े झूठे तथ्य .....
आज विजयादशमी का पर्व है, इसी दिन राम ने रावण का वध किया था। इन दिनों सोशल मिडिया पर भगवान राम और रावण को लेकर कई उल्टी-सीधी बाते चल रही है, सिर्फ दशहरे पर ही नहीं, एक प्रकार का चलन ही निकल गया है की उलटे तर्क देकर हर हिन्दू त्यौहारो का गलत-सलत मतलब निकाला जाये और जो भी परंपरा से चला आ रहा है उसे गलत बताया जाये या गलत सिद्ध किया जाये।

यह बहुत ही बेढंगा और सोची समझी साजिश का हिस्सा लगता है। इसी चलन के तहत आज कल रावण को सही और राम को गलत सिद्ध किया जा रहा है, और इस कुसत्य को फैलाने में कई हिदू ही बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे है, जो की बहुत ही गलत है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए की सिर्फ हिन्दू धर्म ही ऐसा है जहाँ आप खुल कर धर्म के बारे में, भगवान् के बारे में चर्चा और शाशास्त्र कर सकते है, बाकि किसी भी धर्म में अगर ऐसी चर्चा होती है तो उसे ईस-निंदा माना जाता है और फाँसी पर लटका दिया जाता है।
रावण से जुड़े कुछ तथ्य जिन्हे बहुत तोड़-मरोड़ कर बताया जाता है वह इस प्रकार है :~
झूठ 1 : रावण बहुत ही संयमी था, और उसने कभी सीता को बलपूर्वक अपना नहीं बनाया।
सच :~
रावण ने सीता को बलपूर्वक इसलिए अपना नहीं बनाया क्योकि उसे अपने ही भतीजे, कुबेर के पुत्र नल-कुबेर ने श्राप दिया था की यदि रावण किसी स्री को उसकी इच्छा के विरूद्ध छुआ या अपने महल में रखा तो उसके सर के सौ टुकड़े हो जायेंगे। ऐसा श्राप नल-कुबेर ने रावण को इसलिए दिया था क्योकि रावण ने अपने सौतेले भाई कुबेर की पत्नी जो की रावण की भाभी लगती थी और नल-कुबेर की माँ थी पर ही बुरी नज़र डाली थी। इसी डर से रावण ने ना तो कभी सीता को बलपूर्वक अपनाने का प्रयास किया और नहीं ही सीता को अपने महल में रखा।
झूठ 2 : रावण ने बहन के अपमान बदला लेने के लिए सीता का हरण किया था।

सच :~
रावण ने बहन के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का अपहरण नहीं किया बल्कि इसलिए किया क्योकि वह कामांध था उसने अनेक स्त्रियों के साथ दुराचार किया था। वह सीता की सुंदरता से बहुत ही प्रभावित था इसलिए सीता के बाप की उम्र का होने पर भी रावण सीता के स्वयंम्बर में गया था और जब सूर्पनखा ने रावण के सामने सीता की सुंदरता का गुणगान किया तो उसके मन में फिर से सीता को प्राप्त करने की इच्छा जाग गयी और उसने सीता हरण की योजना बनाई।
झूठ 3 : रावण ने बहन के लिए अपने कुल को स्वाहा कर दिया।
सच :~
रावण को अपनी बहन की कभी कोई चिंता नहीं थी उसने ही अपनी विश्व-विजय के दौरान सूर्पनखा के पति विद्युत्-जीव्ह को अपने हाथो से मार था। सूर्पनखा रावण से अलग भारत के दक्षिणी जंगलो दण्डकारन्य में रहती थी।
झूठ 4 :~
रावण महान शिवभक्त था।
सच :~
पौराणिक कथायों के अनुसार जब रावण बैजनाथ का शिवलिंग लंका लेकर जा रहा था तो उसे लघु-शंका लगी और उसने ब्राह्मण रूप में आये विष्णु को शिवलिंग थमा दिया और लघु शंका निवारण के लिए चला गया। विष्णु भगवान् ने शिवलिंग वही जमीन पर रख दिया, फिर जब रावण वापस आया तो उसने शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन जब शिवलिंग अपनी जगह से हिला तो उसने गुस्से में शिवलिंग पर प्रहार किया जिस कारण से शिवलिंग और भी जमीन के अंदर घुस गया। रावण अगर इतना ही बड़ा शिव-भक्त होता तो वह कभी भी शिव-लिंग पर प्रहार नहीं करता।
झूठ 5 : रावण अजेय योद्धा था।

सच :~
सब यह मानते है की रावण जीवन में कभी नहीं हारा नहीं, लेकिन राम से पहले भी रावण चार लोगो से हार चूका था - 1. पाताल लोक के राजा बलि से, 2. महिष्मति के राजा कार्तवीर्य अर्जुन से, 3. वानरराज बाली से, 4. भगवान् शिव से, रावण जिस से भी हारता था उस से संधि कर लेता था।
झूठ 6. :~
रावण धर्म का ज्ञाता था।
सच :~
रावण धर्म का ज्ञाता जरूर था लेकिन उसने अपने ज्ञान को कभी भी व्यावहारिक जीवन में नहीं उतारा। उसने पाने जीवन काल में हजारो ऋषियों का वध किया और लाखो यज्ञों का विध्वंश किया था और हजारो महिलायो का अपहरण किया था। रावण ने वेदवती नामक एक ब्राह्मणी के रूप से प्रभावित हो कर, उसके बल पकड़ कर उसे अपने साथ लंका चलने के लिए कहने लगा जिस से डर कर उस ब्राह्मणी ने रावण को श्राप दिया और योग-अग्नि से आत्म दाह कर लिया। रावण ऋषि मुनियो को सिर्फ इसलिए मरता था क्योकि वह सब उसका धर्म नहीं मानते थे।
झूठ 7. : रावण ने शिव भगवान् से मांगी थी सोने की लंका।
सच :~
लंका का निर्माण देवताओ के शिल्पी विश्वकर्मा ने किया था उसे भगवान् ब्रह्मा ने कुबेर की तपस्या से प्रसन्न हो कर कुबेर को लोकपाल बना दिया और उसे लंका भी दी रहने के लिए। जब रावण विश्व-विजय पर निकल तो सबसे पहले उसने अपने बड़े भाई कुबेर पर ही आक्रमण किया और उससे लंका और पुष्पक विमान भी छीन लिया और कुबेर को लंका से भगा दिया। लंका में राक्षसों का राज स्थापित किया।
झूठ 8 : रावण ने राम के लिए रामेश्वरम में शिव-लिंग की स्थापना की।
सच :~
रामेश्वरम को लेकर भी यह भ्रांति है की राम के बुलावे पर रावण आया और उसने तट पर रामेस्वरम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई लेकिन वाल्मीकि रामायण में लिखा है की समुद्र पर सेतु बनाने से पहले श्रीराम ने ही उस शिवलिंग की स्थापना की थी और यह शिव-लिंग बालू से बना हैं।
और भी कही तथ्य है लेकिन अभी याद नहीं आ रहे जब याद आएंगे तो जरूर लिखूंगा।

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