Karwa Chauth ( करवा चौथ पूजन विधि)

8 अक्टूबर 2017 
कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष

सूर्योदय से पहले स्‍नान करें और व्रत रखने का मन में संकल्‍प लें।सासू माँ द्वारा दी गई सरगी ग्रहण करें। सरगी में सेंवई, पूड़ी, मिठाई, फल और साज-श्रंगार का समान होता है।सरगी के बाद निर्जल व्रत शुरु हो जाता है। माँ पार्वती, महादेव और गणेश जी की पूरे दिन ध्‍यान करें।आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और अन्य पकवान बनाएं।दीवार का कुछ हिस्सा गेरू से पेंट कर पिसे चावलों के घोल से करवा का चित्र बनायें।मिट्टी से माँ गौरी और गणेश जी का स्‍वरूप बनाये। माँ गौरी की गोद में गणेश जी का स्‍वरूप स्थापित करें। इन स्‍वरूपों की पूजा संध्‍याकाल के समय पूजा करने के काम आती है।माँ गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर विराजकर श्रृंगार करें और उनके समक्ष जल से भरा कलश रखेंभेंट देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लेकर उसमें गेहूं और ढक्कन में शक्कर से भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें।रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं।गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर कथा, कहनी पढ़ें और सुने। कथा सुनने के बाद आप वरिष्‍ठ लोगों के चरण स्‍पर्श करें।रात्रि के समय छननी से चंद्र दर्शन करें और अर्घ्य प्रदान करें। इसके बाद पति को प्रसाद दे कर भोजन करवाएं और बाद में खुद भी भोजन करें।

नोट: भारत के विभिन्न हिस्सों में यह व्रत अलग-अलग प्रकार से रखा जाता हैं। इसलिए व्रत रखने से पहले अपने घर की रीति-रिवाजों को समझ लें।

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