15 अक्टूबर 2017 को है रमा एकादशी, जानिए व्रत की कथा एवं इतिहास

हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। एकादशी व्रत के करने से व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत व्रती को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वर्ष में 24 एकादशी व्रत मनाई जाती है। इसी क्रम में कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी मनाई जाती है। devotional rama ekadashi history 
तदनुसार इस वर्ष रविवार 15 अक्टूबर 2017 को रमा एकादशी मनाई जाएगी। इस तिथि को भगवान विष्णु जी का पूजन एवम एकादशी व्रत कथा का पाठ करना उत्तम होता है। devotional rama ekadashi history 

रमा एकादशी की कथा devotional rama ekadashi history 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में मुकुंद नामक एक धर्मात्मा और दानी राजा था। प्रजा उन्हें भगवान के तुल्य मानते थे। राजा मुकुंद वैष्णव सम्प्रदाय को मानता था। अतः राजा नियमित और श्रद्धा-पूर्वक भगवान विष्णु जी का पूजन किया करता था। devotional rama ekadashi history 
राजा के अति भक्ति से प्रभावित होकर प्रजा भी एकादशी व्रत करने लगी। कुछ समय पश्चात राजा के घर एक पुत्री का जन्म हुआ। जो अत्यंत शील और गुणवान थी। राजा ने अपनी पुत्री का नाम चन्द्रभागा रखा। समय के साथ चन्द्रभागा बड़ी हो गई। तत्पश्चात राजा ने चन्द्रभागा का विवाह राजा चंद्रसेन के पुत्र शोभन से कर दी।चन्द्रभागा अपने पति के साथ ससुराल में रहने लगी। devotional rama ekadashi history 
विवाह के पश्चात प्रथम एकादशी को चन्द्रभागा अपने पति को भी एकादशी व्रत करने को कहती है। शोभन की अति हठ के परिणाम स्वरूप शोभन भी एकादशी व्रत व् उपवास करता है। किन्तु एकादशी तिथि के मध्य काल में शोभन को भूख लग जाती है। शोभन भूख से व्याकुल हो तड़पने लगता है कुछ समय में शोभन की मृत्यु हो जाती है। devotional rama ekadashi history 
मृत्यु उपरांत शोभन मंदराचल पर्वत पर स्थित देवनगरी राज का राजा बनता है। देवनगरी में राजा शोभन की सेवा हेतु अनेक अप्सराएं उपस्थित रहती है। चन्द्रभागा अपने पति की मृत्यु के उपरांत भी एकादशी व्रत को श्रद्धा-पूर्वक करती है। एक दिन राजा मुकुंद अपने सैनिको के साथ देवनगरी भ्रमण को जाते है। देवनगरी में शोभन को देखकर राजा मुकुंद अति प्रसन्न होते है। 

रमा एकादशी का महत्व devotional rama ekadashi history 

कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी मनाई जाती है। इस एकादशी को रम्भा एकादशी भी कहते है। एकादशी व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट होते है। एकादशी व्रत कथा के श्रवण मात्र से वाजपेय यज्ञ के तुल्य फल प्राप्त होता है।
भौतिक सुख में ग्रसित मनुष्य के लिए एकादशी व्रत और भगवान विष्णु जी का पूजन करना अत्यंत आवश्यक है। भगवन विष्णु जी ने स्वंय कहा है कि जो मनुष्य श्रद्धा-भाव से एकादशी के दिन मेरी पूजा करता है। उस पर मेरी कृपा सदैव बरसती है। devotional rama ekadashi history 

रमा एकादशी व्रत विधि devotional rama ekadashi history 

एकादशी व्रत के नियम का पालन दशमी तिथि से ही करना चाहिए। दशमी के दिन स्नान-ध्यान करने के पश्चात भोजन करना चाहिए। भोजन में लहसन, प्याज और तामसी भोजन का त्याग करना चाहिए। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु जी की पूजा फल, फूल, धुप-दीप, अक्षत, दूर्वा और पंचामृत से करें। devotional rama ekadashi history 
पूजा सम्पन होने पर भगवान श्री हरि विष्णु जी से परिवार में सुख, शांति और मंगल की कामना करें। व्रत के दिन निराहार उपवास रखे। संध्या में आरती-अर्चना करने के पश्चात फलाहार करें। द्वादशी के दिन स्नान आदि से निवृत होकर पूजा-अर्चना करें। तत्पश्चात अपने सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। इस प्रकार रमा एकादशी की कथा सम्पन्न हुई। प्रेम से बोलिए भगवान श्री हरि विष्णु जी की जय।

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