महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी ये बातें आपको देगी प्रेरणा
महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी ये बातें आपको देगी प्रेरणा
महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत का ज्ञानी कहा जाता है. वाल्मीकि के जन्म को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं हैं. लेकिन कहा जाता है उनका जन्म दिवस आश्विन मास की शरद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. संस्कृत के विद्वान महर्षि वाल्मीकि की खास पहचान महाकाव्य रामायण की रचना से है. रामायण को पहला महाकाव्य माना जाता है.
कहा जाता है कि वाल्मीकि जी पहले एक डाकू थे. जो नारद जी के ज्ञान के बाद वे महर्षि बन गए. महर्षि बनने के बाद वाल्मीकि जी ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की. जो पूरे विश्व में विख्यात है. भगवान नारद ने महर्षि वाल्मीकि जी से कहा कि हम जो पाप करते है उसका फल इस दुनिया में ही भोगना होता है. इसीलिए तुम जितने पाप इस जन्म में करोगे, वो सब तुम्हें इसी जन्म में भोगने पड़ेंगे. इस प्रकार नारद जी के कहने पर वाल्मीकि को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई. वाल्मीकि जी को ज्ञान की प्राप्ति के बाद वो रत्नाकर वन में कई सालों तक तप करने के लिए चले गएं. कहा जाता है कि तपस्या के दौरान उनके शरीर पर चीटिंयों ने अपना घर बना लिया. इतनी तकलीफ में भी वाल्मिकी जी ने अपनी तपस्या भंग नहीं की.
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