हिन्दू धर्म में स्वास्तिक का क्या महत्व है आइये जानिए !!!

हिंदू धर्म में तो ऐसे सिंबल है जो हिंदू सभ्यता में बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट रखते हैं उनमें से एक ओम है और दूसरा है स्वस्तिक सिंबल दोस्तों आज  मैं आपको स्वस्तिक सिंबल के बारे में ही बताने जा रहा हूं।  हम लोग जानेंगे कि आखिर क्यों हिंदू सभ्यता में स्वस्तिक सिंबल को इतना महत्व दिया जाता है अगर हम स्वस्तिक सिंबल का
सिंबोलिक मीनिंग देखें तो यह फोर्तुनाते, शांति और प्रोस्पेरिटी को दर्शाता है हिंदू धर्म में किए गए किसी भी फंक्शन जब पूजा-पाठ के काम में आपको स्वास्तिक का सिंबल जरूर मिलेगा स्वस्तिक एक संस्कृत वर्ड स्वास्थ्य से बना है इसका मतलब होता है 
Swastik sign in Hindu Culture
कि आपको वह सब मिले जिसकी आप कामना रखते हैं अगर हमें यह समझना है इस चिन्ह का जन्म कब और क्यों हुआ तो उसके लिए हमें अर्थ और सोलर सिस्टम के शुरुआती दिनों में जाना होगा ऐसा माना जाता है कि हमारी युनिवेर्स के  शुरुआती दिनों में एक एक्सपोसेन हुआ था जिसे आजकल के मॉडल साइंस में बिग्बन भी   कहा जाता है इस एक्सप्लेन के चलते अर्थ और बाकी ग्रह बने  जो सूरज के  चारों ओर चक्कर लगाने लगे। 

सूरज इन सब ग्रह के  बीच में एक ऐसी पोजीशन पर था जहां से उसके एनर्जी बाकि ग्रह को  बराबर मिल सकें इस arrangment को स्वस्तिक  नाम दिया गया। इसीलिए स्वास्तिक का सिंबल सूरज को दर्शाने के लिए बनाया गया था स्वस्तिक सिंबल का सेंटर सूरज  की तरह है और उसके चारों पंख चार  डायरेक्शन ईस्ट, वेस्ट, नार्थ ,साउथ की तरह है जो यह दर्शाती हैं की energy का फ्लो चारो  डायरेक्शन में बराबर हो। स्वस्तिक सिंबल के चारों पंख  मनुष्य के जीवन के चार aim  को भी दर्शाते हैं जो कि इस प्रकार है धर्मा यानि  धर्म का काम करना। अर्थ यानी स्वास्थ्य को  ठीक करना। कामा यानी  अपनी इच्छाओं को पूरा करना और मोक्ष यानि इस जीवन से मुक्त होना। तो दोस्तों आज में बस इतना ही। 

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