जानिए वो कौन सी घटना थी, जिसके बाद माता लक्ष्मी और श्री गणेश को एक साथ पूजा जाने लगा !!!
दोस्तों आज का टॉपिक एक ऐसी घटना से संबंधित है जिसके बाद देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को एक साथ पूजा जाने लगा। तो आईये इस पर बात करते हैं। श्री कृष्ण की पूजा होती है राधा के साथ, प्रभु राम की देवी सीता के साथ और इनकी पूजा एक साथ होने का कारण हमें पता है। लेकिन आपने देखा होगा की देवी लक्ष्मी और गणेश की पूजा एक साथ की जाती है। विशेष तौर पर दिवाली के दिन।
देवी लक्ष्मी की पूजा गणेश की प्रतिमा के साथ लिखी जाती है भगवान गणेश के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी मानी जाती है वास्तव में इससे जुड़ी कई पोराणिक कहानियां मिलती हैं। एक बार एक बैरागी साधु को राज सुख भोगने की लालसा हुई। उसने देवी लक्ष्मी की आराधना की उसकी आराधना से लक्ष्मी प्रसन्न हुई तथा उसे साक्षात दर्शन देकर वरदान दिया कि उसे उच्च पद और सम्मान प्राप्त हो।
दूसरे दिन में वह वैरागी साधु राज दरबार पहुंचा। वरदान मिलने के बाद उसे अभिमान हो गया। उसने राजा को धक्का मारा जिससे राजा का मुकुट नीचे गिर गया। यह देख दरबार में बैठे सभी लोग साधू को मारने के लिए दौड़ पड़े। परन्तु इसी बीच राजा के गिरे हुए मुकुट से एक काला नाग निकल कर भागने लगा। यह देखकर सभी ने सोचा कि साधु ने पहले से खतरे को भांपकर राजा के प्राणों की रक्षा की है।
राजा ने प्रसन होकर साधू को मंत्री बना दिया। मंत्री बनाने के कुछ दिन बाद साधु को फिर से चालाकी सूजी और उसने फिर से राजा को मारने की कोशिश की। राजा को मारने के लिए साधु उसका हाथ पकड़कर उसे घसीटकर बाहर ले जाने लगा। यह देख राजमहल के लोग राजा को बचाने के लिए राजा के पीछे दौड़े, सभी के बाहर जाते ही भूकंप आ गया और महल गिर गया। इस तरह फिर से सभी ने सोचा की साधू ने राजा की जान बचाई। राजा के महल में एक गणेश की प्रतिमा थी।
एक दिन साधू ने वह प्रतिमा यह कह कर वहां से हटवा दी की यह प्रतिमा देखने में बिल्कुल अच्छी नहीं है। साधु के इस कार्य से भगवान गणेश जी रुस्त हो गए। उस दिन से उस मंत्री बने साधु की बुद्धि बिगड़ गई और वह उल्टा-पुल्टा करने लगा। तभी राजा ने साधु से क्रोधित होकर उसे कारागार में डाल दिया। अपने बुरे दिनों में साधु देवी लक्ष्मी की आराधना करने लगा।
लक्ष्मी जी ने दर्शन देकर उससे कहा कि तुमने भगवान गणेश का अपमान किया है। इसलिए गणेश जी की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करो। लक्ष्मी जी का आदेश पाकर साधू भगवान गणेश की आराधना करने लगा। इससे गणेश जी का क्रोध शांत हो गया। गणेश जी ने राजा के स्वप्न में आकर साधू को फिर से मंत्री बनाने की इच्छा जताई। राजा ने गणेश जी के आदेश का पालन किया और साधु को मंत्री बना दिया।
इस प्रकार लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा साथ-साथ होने लगी। बुद्धि के देवता गणेश की उपासना लक्ष्मी जी के साथ अवश्य करनी चाहिए। क्योंकि बुद्धि के बिना धन लाभ नहीं हो सकता और धन लाभ होने पर यदि बुद्धि ना हो तो धन रुक नहीं सकता। तो दोस्तों ये थी हमारी आज की जानकारी। उम्मीद करते हैं आपको बहुत पसंद आई होगी और जानकारी प्राप्त करने के लिए प्लीज इसे शेयर करे।
धन्यवाद।
देवी लक्ष्मी की पूजा गणेश की प्रतिमा के साथ लिखी जाती है भगवान गणेश के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी मानी जाती है वास्तव में इससे जुड़ी कई पोराणिक कहानियां मिलती हैं। एक बार एक बैरागी साधु को राज सुख भोगने की लालसा हुई। उसने देवी लक्ष्मी की आराधना की उसकी आराधना से लक्ष्मी प्रसन्न हुई तथा उसे साक्षात दर्शन देकर वरदान दिया कि उसे उच्च पद और सम्मान प्राप्त हो।
दूसरे दिन में वह वैरागी साधु राज दरबार पहुंचा। वरदान मिलने के बाद उसे अभिमान हो गया। उसने राजा को धक्का मारा जिससे राजा का मुकुट नीचे गिर गया। यह देख दरबार में बैठे सभी लोग साधू को मारने के लिए दौड़ पड़े। परन्तु इसी बीच राजा के गिरे हुए मुकुट से एक काला नाग निकल कर भागने लगा। यह देखकर सभी ने सोचा कि साधु ने पहले से खतरे को भांपकर राजा के प्राणों की रक्षा की है।
राजा ने प्रसन होकर साधू को मंत्री बना दिया। मंत्री बनाने के कुछ दिन बाद साधु को फिर से चालाकी सूजी और उसने फिर से राजा को मारने की कोशिश की। राजा को मारने के लिए साधु उसका हाथ पकड़कर उसे घसीटकर बाहर ले जाने लगा। यह देख राजमहल के लोग राजा को बचाने के लिए राजा के पीछे दौड़े, सभी के बाहर जाते ही भूकंप आ गया और महल गिर गया। इस तरह फिर से सभी ने सोचा की साधू ने राजा की जान बचाई। राजा के महल में एक गणेश की प्रतिमा थी।
एक दिन साधू ने वह प्रतिमा यह कह कर वहां से हटवा दी की यह प्रतिमा देखने में बिल्कुल अच्छी नहीं है। साधु के इस कार्य से भगवान गणेश जी रुस्त हो गए। उस दिन से उस मंत्री बने साधु की बुद्धि बिगड़ गई और वह उल्टा-पुल्टा करने लगा। तभी राजा ने साधु से क्रोधित होकर उसे कारागार में डाल दिया। अपने बुरे दिनों में साधु देवी लक्ष्मी की आराधना करने लगा।
लक्ष्मी जी ने दर्शन देकर उससे कहा कि तुमने भगवान गणेश का अपमान किया है। इसलिए गणेश जी की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करो। लक्ष्मी जी का आदेश पाकर साधू भगवान गणेश की आराधना करने लगा। इससे गणेश जी का क्रोध शांत हो गया। गणेश जी ने राजा के स्वप्न में आकर साधू को फिर से मंत्री बनाने की इच्छा जताई। राजा ने गणेश जी के आदेश का पालन किया और साधु को मंत्री बना दिया।
इस प्रकार लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा साथ-साथ होने लगी। बुद्धि के देवता गणेश की उपासना लक्ष्मी जी के साथ अवश्य करनी चाहिए। क्योंकि बुद्धि के बिना धन लाभ नहीं हो सकता और धन लाभ होने पर यदि बुद्धि ना हो तो धन रुक नहीं सकता। तो दोस्तों ये थी हमारी आज की जानकारी। उम्मीद करते हैं आपको बहुत पसंद आई होगी और जानकारी प्राप्त करने के लिए प्लीज इसे शेयर करे।
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