जानिए आखिर क्यों शिवलिंग पर दूध को चढाया जाता है !!

हमारा  आज का  टॉपिक है कि शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है। समुद्र मंथन से जुडी एक रोचक कहानी में छुपा है इसका रहस्य। तो आइए इस पर बात करते हैं। शिव, महादेव, भोले शंकर या फिर नीलकंठ भगवान शिव को  न जाने कितने ही नामो से  जाना जाता है। भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि वे  विनाश के देवता हैं। यानि सृष्टि में जब जब पाप की अधिकता हो जाती है तब  शिव प्रलय लीला द्वारा पुन: संसार का सृजन करते है।

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वहीं भगवान शिव की पसंद की बात करें तो उनकी पसंद अन्य देवताओं से बिल्कुल अलग है। भगवान शिव के एक अन्य रूप शिवलिंग भी कई मान्यों में अलग है। शिवलिंग की पूजा करते समय कुछ ऐसे रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है जो भगवान शिव को बेहद पसंद है। शिवलिंग को दूध से स्नान करवाया जाता है ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को दूध से अभिषेक करवाना काफी पसंद है


लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग को दूध से स्नान क्यों करवाया जाता है। वास्तव में इसके पीछे भी एक कहानी है। समुद्रमंथन की पूरी कथा विष्णु पुराण और भागवत पुराण में वर्णित है। जिसमें एक कथा मिलती है।  इस कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब विष की उत्पत्ति हुई तो पूरा संसार इसके प्रभाव में आ गया जिस कारण सभी लोग भगवन शिव की शरण में आगये।
 

क्योंकि विष की तीव्रता को सहन करने की ताकत केवल भगवान शिव के पास थी। शिव ने बिना किसी भय के विष का पान कर लिया। विष की तीव्रता इतनी अधिक थी कि भगवान शिव का कंठ नीला हो गया। विष का घातक प्रभाव शिव और शिव की जटा में विराजमान देवी गंगा पर पड़ने लगा। ऐसे में  शिव को शांत करने के लिए जल की शीतलता भी काफी नहीं थी।
 

सभी देवताओं ने उनसे दूध ग्रहण करने का निवेदन किया। लेकिन अपने जीव मात्र की चिंता के स्वभाव के कारण भगवान शिव ने दूध से उनके द्वारा ग्रहण करने की आज्ञा मांगी। स्वभाव से शीतल और निर्मल दूर ने शिव के इस विनम्र निवेदन को तत्काल ही स्वीकार कर लिया।
 

शिव ने दूध को ग्रहण किया जिससे उनकी तीव्रता काफी समय तक कम हो गई। परंतु उनका कंठ हमेशा के लिए नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा। कठिन समय में बिना अपनी चिंता किये बिना दूध ने शिव और संसार की  सहायता के लिए शिव के पेट में जाकर विष की तीव्रता को सहन किया।
 

इसीलिए शिव को दूध अधिक प्रिय है। वहीं दूसरी तरफ शिव को सांप भी बहुत प्रिय है क्योंकि सांपो ने विष के  प्रभाव को कम करने के लिए विष की तीव्रता स्वंय में सम्माहित कर ली थी। इसीलिए अधिकतर सांप बहुत जैहरिले होते है। तो दोस्तों ये थी हमारी आज की जानकारी। 

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